नई दिल्लीः "ऑनर किलिंग" मामलों में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय करे हस्तक्षेपः
अदालत
नई दिल्ली, 22 अप्रैल सन् 2014 (ऊका समाचार): देहली की एक अदालत ने केंद्रीय महिला एवं
बाल विकास मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह "ऑनर किलिंग" के मामलों में हस्तक्षेप करे
ताकि इससे बच निकले लोगों को चिकित्सीय एवं कानूनी सहायता, पेशेवर मनोवैज्ञानिक परामर्श,
आश्रय एवं अन्य प्रकार की आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके।
आईएएनएस समाचार
के अनुसार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने कहा "ऑनर किलिंग" मामलों में राज्य
का हस्तक्षेप नितान्त आवश्यक है।
उन्होंने कहा, "महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
को पुष्टिकर न्याय की व्यवस्था करनी चाहिये ताकि पीड़ितों को चिकित्सा और कानूनी सहायता,
पेशेवर मनोवैज्ञानिक परामर्श, आश्रय और अन्य समर्थन उपलब्ध कराया जा सके।"
विगत
सप्ताह से दिया गया आदेश सोमवार को प्रकाशित किया गया। अदालत के अनुसार, "ऑनर किलिंग"
के शिकार व्यक्तियों की मदद करना तथा उनके पुनर्वास को सुनिश्चित्त करना सरकार की ज़िम्मेदारी
है।
अदालत ने कहा, "पीड़ितों का अपने ही पैतृक परिवारों द्वारा परित्याग
कर दिया जाता है तथा उनके ससुरालवाले उनका शोषण करते हैं जिससे वे निर्धनता की खाई में
ढकेल दिया जाते हैं। मानसिक रूप से तथा सामाजिक रूप से भी वे स्वतः को अकेला पाते तथा
ख़ुद अपने लिये फ़ैसला करने में असमर्थ होते हैं। इन परिस्थितियों में "ऑनर किलिंग" के
शिकार व्यक्तियों के लिये सुरक्षा एवं पुनर्वास को सुनिश्चित्त करने एवं उन्हें हर प्रकार
का समर्थन देने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का हस्तक्षेप नितान्त आवश्यक है।"
अदालत ने महिला आश्रमों एवं संरक्षण गृहों की स्थापना का भी सुझाव रखा ताकि
अपने परिवारों, समुदायों एवं समाज का प्रकोप झेलनेवाले दम्पत्तियों की सुरक्षा का आश्वासन
मिल सके। पीड़ितों को मुआवज़ा दिये जाने पर विचार का भी अदालत ने सरकार से आग्रह किया।
"ऑनर किलिंग" के एक उत्तरजीवी को उसके अपने ही रिश्तेदारों से धमकियाँ
मिलने के बाद अदालत का उक्त आदेश आया। 2013 में एक महिला के पति की उसके भाई ने हत्या
कर दी थी किन्तु जब महिला अभियोजन पक्ष की गवाह रूप में बयान देने के लिये तैयार हुई
तो उसे उसके बहनोई ने डराया धमकाया था।