2014-04-21 14:15:58

मॉस्को, सोमवार 21 अप्रैल, 2014 ईस्टर के अवसर पर मॉस्को के प्राधिधर्माध्यक्ष का सन्देश


रूसी आर्थोडॉक्स गिरजे के प्रमुख धर्माधिकारी समस्त रूस और मास्को के प्राधिधर्माध्यक्ष किरील ने ईस्टर के अवसर पर सभी ईसाइयों को विशेष रूप से सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा, "ईसा मसीह के पवित्र रविवार ईस्टर को प्राचीन काल से ही त्योहारों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि इसी दिन मानवजाति ने अपने दो प्रमुख शत्रुओं पर विजय पाई थी। ये दो प्रमुख शत्रु हैं - पाप और मृत्यु। पापों और मृत्यु पर विजय पाकर ही आज के दिन, ईस्टर के रविवार के दिन ईसा मसीह पुनर्जीवित हुए थे।"

पैट्रियार्क किरील ने आगे कहा, "ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने के बाद सारी मानवजाति अब स्वतंत्रता और अमरता के उस पवित्र रास्ते पर आगे बढ़ सकती है, जिस पर पहले ऐसी बाधाएँ उपस्थित थीं, जिन्हें पार कर पाना असम्भव लग रहा था। बड़े-बड़े दार्शनिक और वैज्ञानिक, बड़े-बड़े चित्रकार और कवि, महान और शक्तिशाली राजा और शासक, राजनयिक और कूटनीतिज्ञ भी जिन बाधाओं को पार नहीं कर पाए, ईसा मसीह ने उन बाधाओं को पार किया और वे मानवजाति को अपने साथ ईश्वर तक ले गए।"

उन्होंने कहा, " सूली पर चढ़ाए जाने से पहले अपने शिष्यों को उपदेश देते हुए ईसा मसीह ने कहा था मैं आपको एक नई सीख दे रहा हूँ कि आप एक-दूसरे से प्रेम करें। इसमें नई बात क्या है?"
उन्होंने कहा, " नई बात यह है कि ईश्वर औपचारिक रूप से की गई प्रार्थनाओं से ख़ुश नहीं होता बल्कि यह देख कर ख़ुश होता है कि व्यक्ति अपने मित्र-सम्बन्धियों के साथ कैसा व्यवहार करता है और उन्हें क्या देता है? "

" क्या वह उन्हें ख़ुशी देता है, शान्ति देता है, उनके प्रति वह सद्भावना रखता है या फिर वह उन्हें दुख़, पीड़ा और कष्ट ही देता है, उनके प्रति शत्रुता और दुश्मनी की भावना अपने मन में रखता है क्योंकि मानव शरीर का अन्त होने के बाद फिर से पुनर्जीवन पाकर ईश्वर न सिर्फ़ एक न्यायाधीश की भूमिका में रह गया था, बल्कि वह मसीहा और रक्षक की भूमिका में भी आ गया था। वह जीवन का सच्चा रास्ता दिखा रहा था।"

प्राधिधर्माध्यक्ष ने लोगों से अपील की कि वे उक्रेन में शांति के लिये प्रार्थना करें।
विदित हो उक्रेन सोवियत संघ का ही एक पूर्व गणराज्य है और वहाँ भी रूसी आर्थोडॉक्स ईसाई धर्म को मानने वाले, रूसी सनातन ईसाई धर्म के अनुयायी रहते हैं, इसलिए आज ईस्टर की प्रमुख प्रार्थना उक्राइना में शान्ति की स्थापना को ही समर्पित है।

उन्होंने कहा, " पास्का के इन दिनों में ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि उक्राइनी जनता सुख-शान्ति से रहे। वहाँ हो रही हिंसा रूके और एक-दूसरे के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले लोग एक-दूसरे के मित्र बने। ये लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम रखें तथा इनके बीच आपस में कैसी भी गलतफ़हमियाँ क्यों न पैदा हों, लेकिन वे फिर भी एकजुट होकर रहें।"












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