2014-04-21 16:47:45

पास्का पर्व का आनन्द हमारे अंदर से प्रस्फुटित हो


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 अप्रैल 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, सोमवार 21 अप्रैल को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्हें सम्बोधित कर कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
खुश पास्का पर्व, ‘ख्रीस्तोस अनेस्ती, अलेस्तोस अनेस्ती’, ख्रीस्त जी उठे हैं, वे सचमुच जी उठे हैं। इस सप्ताह हम पास्का पर्व की शुभकामनाएँ अर्पित करना जारी रखते हैं, यदि यह पर्व मात्र एक दिन का होता तो निश्चय ही एक बहुत बड़ा दिन होता क्योंकि यह प्रभु द्वारा ठहराया हुआ दिन है। सुसमाचार में पुनरुत्थान की जो प्रमुख मनोभाव प्रकाशित होती है वह आनन्द एवं विस्मय से पूर्ण है। महिला द्वारा दिए गये पुनर्जीवित ख्रीस्त का संदेश प्राप्त कर चेलों ने जो अनुभव किया उसे हम पूजन-पद्धति में पुनः जीने का प्रयास करते हैं।″
संत पापा ने कहा कि इस सप्ताह हम सुसमाचार के उन अध्यायों का पाठ करें जहाँ ख्रीस्त के पुनर्जीवित होने की घटना का वर्णन है। यह अनुभव हमारे हृदयों में अंकित हो तथा हमारे जीवन में परिलक्षित हो। पास्का रविवार का आनन्द एवं विस्मयकारी अनुभव हमारे विचार, दृष्टिकोण, मनोभाव, हाव-भाव और शब्दों द्वारा प्रतिबिम्बित हो। यह बाह्य श्रृंगार की तरह नहीं किन्तु हमारे अंदर से प्रस्फुटित हो जो आनन्द के स्रोत में डुबकी लगाने से आता है। मरिया मगदलेना ने प्रभु को खोने के कारण शोक मनाया तथा पुनर्जीवित प्रभु को देख उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ था। जो ऐसा अनुभव करते हैं वे पुनरुत्थान का साक्ष्य देते हैं क्योंकि वे उस जी उठने के अनुभव में स्वयं जी उठते हैं। इस प्रकार मानव जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में पुनर्जीवित प्रभु के प्रकाश को लाने में समर्थ होते हैं तथा उस खुशी द्वारा वे सुन्दर जीवन जीने एवं पीड़ाओं में भी स्वार्थ रहित जीवन जीते हुए शांति एवं आशा भरे जीवन की अभिलाषा कर पाते हैं।
संत पापा ने कहा कि इस सप्ताह हमारे लिए उचित होगा कि हम येसु की माता मरिया के आनन्द पर चिंतन करें जो येसु के साथ घनिष्ठ रूप से संयुक्त थी अतः येसु का दुःख उनकी आत्मा को बेधने के लिए पर्याप्त था किन्तु येसु के जी उठने पर उनका दुःख आनन्द में परिणत हो गया एवं एक परिपूर्ण आनन्द में बदल गया। उसी आनन्द के स्रोत से शिष्यों ने आनन्द प्राप्त किया। माता मरिया ने अपने पुत्र के दुःखभोग एवं मृत्यु का एहसास करते हुए विश्वास में ईश्वर के सर्वोच्च प्यार का अनुभव किया इस प्रकार उनका हृदय सुख, शांति, आशा और करूणा का स्रोत बन गया है। माता मरिया की विशिष्ठता इसी में प्रदर्षित होती है। येसु ख्रीस्त के पास्का में सहभागी होते हुए वे उनके साथ मरी और जी उठी किन्तु उन्होंने आशा कभी नहीं खोया। हम दुःखों की माता पर चिंतन करें जो आशा से परिपूर्ण माता है क्योंकि वे सभी विश्वासियों की माता हैं, पूरी कलीसिया की माता।
माता मरिया जो येसु के दुःखभोग एवं पुनरूत्थान की मौन साक्षी हैं उनसे हम प्रार्थना करें कि वे हमें पास्का के आनन्द को प्राप्त करने में मदद करे। पास्काकाल में देवदूत प्रार्थना के स्थान पर ‘स्वर्ग की रानी’ प्रार्थना के पाठ द्वारा हम उनसे प्रार्थना करें।
इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने स्वर्ग का रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।
स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ समाप्त कर उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सम्बोधित करते हुए कहा, ″इटली तथा विभिन्न देशों से यहाँ प्रार्थना के लिए एकत्र प्रिये तीर्थयात्रियो, मैं आप सभी का सस्नेह अभिवादन करता हूँ। आप प्रत्येक को पुनर्जीवित ख्रीस्त का आनन्द एवं शांति प्राप्त हो।
अंत में संत पापा ने सभी को पवित्र एवं आनन्दमय पास्का पर्व तथा शुभ भोज की शुभकामनाएँ अर्पित की।








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