वाटिकन सिटी, बुधवार 16 अप्रैल, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ″ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षामाला
को जारी रखते हुए हम ख्रीस्त के दुःखभोग पर चिन्तन करें।″ पुण्य सप्ताह का बुधवारीय
सुसमाचार पाठ यूदस के विश्वासघात को प्रस्तुत करता है जो ख्रीस्त के दुःखभोग की शुरूआत
को भी चिन्हित करता है। हमारे प्यार के ख़ातिर हमारी मुक्ति हेतु येसु स्वतंत्र रूप से
अपमान एवं आत्मत्याग के रास्ते पर आगे बढ़े। जैसा कि संत पौल कहते हैं ″फिर भी उन्होंने
दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन-हीन बना लिया। मरण तक हाँ
क्रूस मरण तक, आज्ञाकारी बन कर अपने को और भी दीन बना लिया।″ जब हम ख्रीस्त के दुखभोग
पर चिंतन कर रहे हैं तब हम सम्पूर्ण मानव जाति के दुखों पर चिंतन करें तथा बुराई, दुःख
एवं मृत्यु के रहस्य पर ईश्वर का प्रत्युतर खोजने का प्रयास करें। उन्होंने हमें अपना
पुत्र प्रदान किया है जो अपमान, विश्वासघात, परित्याग एवं अपशब्दों की बौछार सहते हुए
मृत्यु का शिकार हुआ किन्तु ईश्वर की विजय मानवीय परिस्थितियों- असफलता एवं पराजय द्वारा
प्रमाणित हुई है। येसु का दुःख भोग पिता के असीम प्रेम एवं वचनबद्धता के प्रकाशन की पराकाष्ठा
है। ख्रीस्त ने हमें स्वतंत्र करने के लिए बुराई की शक्ति को अपने ऊपर ले लिया। ″वह अपने
शरीर में हमारे पापों को क्रूस के काठ पर ले गये, जिससे हम पाप के लिए मृत होकर धार्मिकता
के लिए जीने लगें। आप उनके घावों द्वारा भले चंगे हो गये हैं। (1पेत्रुस 2꞉24) इस सप्ताह,
जब हम येसु के क्रूस मार्ग पर चिंतन कर रहे हैं, हम उनके प्रेमी आज्ञापालन का अनुसरण
करें विशेषकर, कठिनाईयों एवं अपमान की घड़ी में। हम उनकी क्षमा, मुक्ति एवं नूतन जीवन
के उपहार को ग्रहण करने के लिए अपने हृदय को खुला रखें। इतना कह कर, संत पापा ने अपनी
धर्मशिक्षा समाप्त की तथा सब को पुण्य सप्ताह की शुभकामनायें अर्पित कीं। भारत, इंगलैंड,
मलेशिया, इंडोनेशिया वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स,
नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका
और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास
में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद दिया।