2014-04-14 10:52:56

वाटिकन सिटीः खजूर इतवार पर सन्त पापा फ्राँसिस का प्रवचन


वाटिकन सिटी, 14 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार को, खजूर इतवार महापर्व के उपलक्ष्य में देश विदेश से एकत्र लगभग एक लाख श्रद्धालुओं के समक्ष सन्त पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में खजूर इतवार का अर्थ समझाया।
ईस्टर से एक सप्ताह पूर्व पड़नेवाले रविवार को काथलिक धर्मानुयायी खजूर रविवार मनाते हैं। प्रवचन में सन्त पापा ने कहाः
"जैतून और खजूर की शाखाओं सहित हर्षोल्लास में निकलने वाले जुलूस ने इस रविवार को खजूर इतवार नाम दिया है जो पवित्र सप्ताह का उदघाटन करता है। पूजन पद्धति में इसे दुखभोग रविवार भी कहा गया है। ये दो नाम इसके दो अर्थों को प्रकट करते हैः हर्षित उत्सव तथा दूरी पर क्रूस की छाया।"
यह हर्षोल्लास अनुयायियों के प्रसन्न जनसमुदाय का है जो जैतून पहाड़ी से गधे पर बैठे जैरूसालेम में प्रवेश करते प्रभु येसु का स्वागत करता है। वे हर्शमग्न हो उनका गुणगान करते हैः "होसान्ना, दाऊद के पुत्र येसु की जय! धन्य हैं वे जो प्रभु के नाम पर आते हैं, सर्वोच्च में होसान्ना!" (मत्ती 21:9)।
"होसान्ना" का अर्थ समझाते हुए सन्त पापा ने कहाः "होसान्ना" का अर्थ है "मुक्ति अनुदान!" इस प्रकार शिष्य येसु में अपने विश्वास एवं अपनी आशा की अभिव्यक्ति करते हैं: कि अन्ततः वे ईश राज्य की स्थापना करेंगे!"
एक प्राचीन गीत स्मरण दिलाता है कि इस उत्सव के मुख्य प्रतिभागी थे जैरूसालेम के "पुएरी हेब्रेओरुम" अर्थात् बच्चे एवं युवा, जो जैतून की शाखाओं को लहराते एवं "होसान्ना" के नारे लगाते प्रभु येसु तक दौड़े थे। वे युवा साधारण एवं निम्न लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे जिन्होंने एहसास पा लिया था कि यह व्यक्ति, येसु, कानून के रखवाले कहे जानेवाले शास्त्रियों एवं फरीसियों से अलग थे, ये व्यक्ति उस युग के कथित "लब्धप्रतिष्ठ" लोगों से विपरीत थे। वे उनकी ओर दौड़ते हैं ताकि वे उन्हें आशीर्वाद दे सकें। उनकी पहली प्रतिक्रिया सन्देह, पूर्वाग्रह एवं गणित की नहीं है; वे सत्य, न्याय, भलाई एवं सौन्दर्य की खोज कर रहे थे।
सन्त पापा ने आगे कहाः "जैरूसालेम के युवाओं के नक्शेकदम पर, येसु का अनुसरण करने के इच्छुक युवा आज अपने धर्माध्यक्षों के इर्द-गिर्द एकत्र हैं इसलिये कि लगभग विगत 30 सालों से खजूर रविवार विश्व युवा दिवस भी है।"
उन्होंने कहाः "उत्सव से अलग-थलग खड़े महायाजक एवं शास्त्री हैं। येसु के प्रति जनसमुदाय का उत्साह देखते हुए वे भीड़ में पकड़े जाने के भय से उससे अलग रहते हैं: इसके बजाय, वे चिढ़चिढ़ाहट एवं आक्रोश से भर उठे हैं और उनसे कहते हैं: "उन्हें शान्त रहने के लिये कहिये, यह सब हंगामा उपयुक्त नहीं है!" किन्तु येसु उत्तर देते हैं: "मैं तुमसे कहता हूँ यदि ये मूक हो जायेंगे तो पत्थर भी रो पड़ेंगे" (लूक 19:40)।
सन्त पापा ने आगे प्रश्न कियाः "मैं अपने आपसे पूछता हूँ: इस सबमें हम कहाँ हैं? क्या हम बच्चों की तरफ हैं, या फिर हम ईष्यालु नेताओं की तरफ हैं? क्या हम अपने आप को इन छोटों में पहचानते हैं, प्रभु की स्तुति करनेवाले मन के निर्मल लोगों में या फिर उन लोगों में जो उन्हें चुप करना चाहते हैं? ईश्वर हमें उनकी स्तुति करने का अनुग्रह प्रदान करें, उनके पुत्र येसु की प्रशंसा करने का वरदान दें, उनका न्याय करने का नहीं, अपने घमण्ड, अपने स्वार्थ एवं अपने स्वयं के दमनकारी नियमों के मापदण्ड से मापने का नहीं।
अस्तु, हम सब "होसान्ना" के जयनारे लगानेवाले बच्चों के साथ मिलकर प्रभु येसु का स्वागत करें। जैरूसालेम में प्रवेश करनेवाले येसु का अनुसरण करें; जब तालियाँ समाप्त हो जायें और उत्साह समाप्त हो जाये तब भी हम उनका अनुसरण करते रहें..... और यदि ऐसा होता है कि हम भी, अपनी कमज़ोरियों के कारण, उनके लिये लज्जा महसूस करने लगें अथवा उनसे इनकार करने लगें तो तुरन्त क्षमा की याचना करें। उनकी दयादृष्टि से हम अपने हृदयों का स्पर्श होने दें और अपने पापों के लिये रोयें।
पुण्य सप्ताह की तीर्थयात्रा में पवित्र कुँवारी मरियम हमारे साथ रहें। वे हमारी मदद करें ताकि क्रूस के नीचे तक हम प्रभु का अनुसरण करते हुए उनके दुखभोग के रहस्य का अनुभव कर सकें। मरियम ही हमें पुनरुत्थान के ज्योतिर्मय आनन्द तक ले जायें। आमेन!








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