वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 अप्रैल 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित क्लेमेन्टीन सभागार
में 12 अप्रैल को संत पापा फ्राँसिस ने इटालियन कैंसर चिकित्सा विज्ञान सम्मेलन में भाग
ले रहे सदस्यों से मुलाकात की। ला सपीयेंसा विश्वविद्यालय एवं संत अन्ड्रू अस्पताल
के तत्वाधान में इताली कैंसर चिकित्सा का सम्मेलन आयोजित किया गया था। संत पापा ने
उनसे कहा, ″वैज्ञानिक अनुसंधान ने कई बीमारियों की चिकित्सा एवं रोक-थाम की संभवनाओं
को बढ़ा दिया है। इस कार्य से संलग्न बेहतर मूल्यों के प्रति समर्पित, आप विश्वभर के
रोगियों की आशाओं एवं अपेक्षाओं को पूरा करते हैं।″ संत पापा ने सचेत करते हुए कहा,
″किन्तु रोगियों के पूर्ण स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए मानव की मर्यादा को न भूले कि
वह ईश्वर का प्रतिरूप है। व्यक्ति आत्मा एवं शरीर का संगम है। इन दोनों तत्वों की अलग
पहचान की जा सकती है किन्तु इन्हें एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है क्योंकि दोनों
तत्वों के एक होने से ही पूर्ण व्यक्ति बनता है अतः शारीरिक पीड़ा न केवल शरीर किन्तु
उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। इस प्रकार, चिकित्सा सेवा में व्यापक
देखभाल की आवश्यकता है जो रोगी तथा उसके परिवार वालों की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक
रूप से मदद कर सके। भाईचारे का व्यवहार, रोगी को मानव जीवन की सच्ची सुन्दरता को पहचानने
और अपनी कमजोरियों को जानने में मदद करता है जिसके द्वारा व्यक्ति, मानव प्रतिष्ठा एवं
जीवन के अर्थ को हर परिस्थिति में पहचानने के लिए सक्षम हो जाता है। संत पापा ने ख्रीस्त
के दुःखभोग की याद दिलाते हुए कहा कि कल से पवित्र सप्ताह की शुरूआत हो रही है जिसकी
चरम सीमा है येसु का दुःखभोग, मृत्यु एवं पुनरूत्थान जिसमें हम पाते हैं कि मानव पीड़ा,
ईश्वर के प्यार में, येसु द्वारा हर लिया गया है। अपने दैनिक जीवन के कार्यों में क्रूसित
ख्रीस्त एवं उनके क्रूस के नीचे दुखों की माता मरिया को निहारें। वे समस्त मानव जाति
की माता हैं। वे हमेशा अपने बच्चों के करीब रहतीं, विशेषकर, बीमार बच्चों के नज़दीक।