वाटिकन सिटीः क्रूस केवल एक प्रतीक नहीं है, वह ईश्वर के प्रेम का रहस्य है, सन्त पापा
फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 09 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस के अनुसार क्रूस केवल एक
प्रतीक नहीं अपितु वह ईश्वर के प्रेम का रहस्य है जिन्होंने हमारे पापों को अपने ऊपर
ले लिया।
वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग
के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्तीय धर्म दार्शनिक धर्मसिद्धान्त
नहीं है, वह जीवन की उत्तरजीविता का अथवा शांति निर्माण कार्यक्रम नहीं है। ये तो उसके
परिणाम हैं। ख्रीस्तीय धर्म एक व्यक्ति है, क्रूस पर चढ़ाये गये व्यक्ति, ऐसे व्यक्ति
जिन्होंने हमें बचाने के लिये ख़ुद को दीन हीन बना लिया।"
उन्होंने कहा, "क्रूस
कोई आभूषण नहीं है, यह कोई प्रतीक नहीं है जो हमें अन्यों से अलग करता है अपितु यह उस
ईश्वर का रहस्य है जो स्वतः को दीन हीन बना लेता और हमारे पापों को अपने ऊपर ले लेता
जिन पापों से हम ख़ुद ऊपर नहीं उठ सकते हैं। क्रूस के बिना ख्रीस्तीय धर्म का अस्तित्व
नहीं है।"
ख्रीस्तयाग में सन्त पापा फ्राँसिस प्राचीन व्यवस्थान के गणना ग्रन्थ
में निहित पाठ पर चिन्तन कर रहे थे। इस पाठ में ईश्वर एवं मूसा के विरुद्ध शिकायत करनेवाले
यहूदियों को प्रभु ईश्वर सम्बोधित करते हैं। प्रभु मूसा को आदेश देते हैं कि वह अपनी
छड़ी पर साँप को रखे और कहते हैं जो कोई भी साँप द्वारा काटा जाने पर भी विचलित नहीं
होगा वह जीवित रहेगा। सन्त पापा ने कहा कि उत्पत्ति ग्रन्थ में हम देखते हैं कि साँप
"पाप" का प्रतीक है। हालांकि बाद में ईश्वर आदेश देते हैं कि पाप को भी विजय ध्वज के
सदृश उठाया जाये। सन्त पापा ने कहा कि इस पाठ को हम तब तक बुद्धिगम्य नहीं कर पाते जब
तक हम सुसमाचार में निहित प्रभु येसु मसीह द्वारा यहूदियों से कहे शब्दों पर विचार न
कर लें।
येसु यहूदियों से कहते हैः "जब तुम मानवपुत्र को ऊपर उठाओगे तब तुम
समझ लोगे कि मैं ही हूँ।" सन्त पापा ने कहा कि मानवपुत्र, यथार्थ मुक्तिदाता, येसु ख्रीस्त
ही हैं जो हमें पाप से मुक्त करते एवं ऊपर उठाते हैं।