रोम, सोमवार, 7 अप्रैल, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 6 अप्रैल को
रोम धर्मप्राँत के सान ग्रेगोरियो मान्यो पल्ली की प्रेरितिक दौरा पर गये जहाँ पल्लीवासियों
ने उनका बड़े उत्साह से स्वागत किया।
संत पापा ने बड़ी संख्या में जमा लोगों
को अपना संदेश देते हुए कहा कि मनुष्य बिना आशा के जीवित नहीं रह सकता है। आशा ही एक
ऐसी ताकत है जो व्यक्ति को रचनात्मक बनाती तथा बच्चों के द्वारा सृष्टि के कार्य को
आगे बढ़ाने और कार्य करने का उत्साह प्रदान करती है।
संत पापा ने कहा जीवन में
आशा को प्राप्त करना भी इतना आसान नहीं हैं वैसे समय में जब हम जीवन के कठिन दौर से गुज़रते
रहे हों जैसे बीमारी, बेरोज़गारी और अन्य भयानक घटनायें।
उन्होंने कहा कि आशा
ईश्वर का वरदान है और इसके बिना युवा अपना विश्वास खो बैठते हैं और सही रास्ते से भटक
जाते हैं।
सान ग्रेगोरिया मान्यो पल्ली में अपने तीन घंटे कै दौरे में संत पापा
ने कई लोगों से मुलाक़ात की जिनमें बच्चे, युवा, बीमार, पीड़ित, वृद्ध तथा नशीली वस्तुओं
का सेवन से हुए मुक्त युवा भी शामिल थे। उन्होंने उनसे कहा कि येसु सदा न्यायी है गिरजाघरों
में और ऐसे समय में भी जब हम कमजोर हैं।
संत पापा ने कहा कि येसु को पहचाने का
सबसे अच्छा स्थान है ‘मानव की कमजोरियाँ।"
पल्लीवासियों को संबोधित करते हुए
संत पापा ने कहा कि बरबादी की संस्कृति, आजन्मे शिशुओं की हत्या अति दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
संत पापा ने यूखरिस्तीय बलिदाने अर्पित करने के पूर्व लोगों के पापस्वीकार सुने
और मिस्सा में रविवारीय सुसमचार पाठ के आधार पर भी अपने चिन्तन प्रस्तुत किये।
उन्होंने
कहा कि लाजरूस के समान प्रत्येक व्यक्ति का कुछ-न-कुछ भाग पूर्ण रूप से जीवित नहीं रहता
है। येसु की शक्ति से ही वह जीवन प्राप्त करता है और वह पाप और कमजोरी की कब्र से बाहर
आ सकता है।
उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति अपनी कमजोरियों
के प्रति इतना आसक्त हो जाता है कि वह उससे बाहर नहीं आना चाहते हैं। यह पाप की भयंकरता
है।
इस अवसर पर संत पापा ने उपस्थित लोगों को ‘पॉकेट साइज़ का नया व्यवस्थान
दिया और कहा कि आप सदा बाइबल लेकर चलें। जब आप गाड़ी का इन्तज़ार कर रहे हैं तो बाइबल
पढ़ें।