2014-04-02 11:38:14

पवित्र विवाह संस्कार


वाटिकन सिटी, बुधवार 2 अप्रैल, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, काथलिक कलीसिया के संस्कारों पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम पावन विवाह संस्कार चिन्तन करें।

पवित्र विवाह संस्कार हमें मानव परिवार स्थापित करने की ईश्वर की पवित्र योजना के निकट लाता है। पवित्र तृत्व ईश्वर ने नर और नारी को अपने प्रतिरूप बनाया और हमें इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि वे उसके प्रेम का दर्पण बनें।

विवाहित दम्पति इस दिव्य बुलाहट को पूरी तरह से समर्पित होकर पूर्ण करते हैं।

विवाहित नर-नारी एक शरीर बनकर ईश्वरीय प्रेम के जीवित प्रतिरूप बन जाते हैं और कलीसिया की एकता और विश्वास के सूत्र में बँध जाते हैं।

ख्रीस्तीय विवाह येसु मसीह के रहस्यात्मक शरीर का भी चिह्न है जिसने कलीसिया के लिये पूरी ईमानदारी से अपना बलिदान किया।

इस प्रकार कलसिया में ख्रीस्तीय दम्पति एक विशेष समर्पण का जीवन और मिशन प्राप्त करती है। एक ओर पवित्र विवाह एक पावन बुलाहट है फिर भी यह मिशन पूरा करना आसान नहीं।

विवाहितों को चाहिये कि वे अपने जीवन के हरपल में ईश्वर से जुड़े रहें और अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा इसे सुदृढ़ करें।
विवाहितों को चाहिये कि वे प्रातः, दोपहर, भोजन के पूर्व प्रार्थना करें, रोजरी माला जपें और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि पवित्र यूखरिस्तीय संस्कार में हिस्मा लें।

आज आइये, हम विश्व के सब परिवारों के लिये प्रार्था करें ताकि वे कठिन पलों में प्रार्थना करें ताकि वे ईश्वर की असीम कृपा से विश्वास, प्रेम, उदारता और सेवा के आदर्श बन सकें।

इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने भारत इंगलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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