ख्रीस्त के प्रकाश को धारण कर पवित्रता के मार्ग में आगे बढ़ें
वाटिकन सिटी, सोमवार, 31 मार्च 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, रविवार 31 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना के पूर्व उन्हें सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आज
का सुसमाचार पाठ एक जन्मांध व्यक्ति की कहानी प्रस्तुत करता है जिसे येसु ने दृष्टिदान
प्रदान किया। कहानी लम्बी है, जो एक अंधे व्यक्ति से शुरू होती तथा कहानी के अंत में
वह सम्पूर्ण दृष्टिदान प्राप्त करता है। यह रहस्यात्मक है जो तथाकथित आध्यात्मिक अंधेपन
में पड़े रहने वालों की ओर इंगित करता है। सुसमाचार लेखक संत योहन इस चमत्कार का वर्णन
दो पंक्तियों में करते हैं क्योंकि वे चमत्कार की घटना मात्र पर हमारा ध्यान खींचना नहीं
चाहते, पर वे बतलाना चाहते हैं कि आगे इसके द्वारा किस प्रकार बहस उत्पन्न हो गया। मज़ाक
के लहजे में बहस ठीक ही है किन्तु कई बार एक भला काम या उदारता की बातें बहस बन कर रह
जाती हैं क्योंकि कुछ लोग सच्चाई को देखना पसंद नहीं करते हैं।" संत पापा ने कहा
कि प्रेरित संत योहन यहाँ जिस बात की ओर हमारा ध्यान खींचना चाहते हैं वह आज भी घटित
हो रहा है जब आप भला काम करना चाहते हैं। चंगाई प्राप्त व्यक्ति सर्वप्रथम चकित जनता
द्वारा सवाल किया गया तत्पश्चात् संहिता के विद्वानों ने भी इस चमत्कार की घटना पर आश्चर्य
व्यक्त किया। फ़रीसियों को तो इतना आश्चर्य हुआ कि उसके माता-पिता तक को सवाल किया। घटना
के अंत में हम पाते हैं कि चंगाई प्राप्त व्यक्ति का विश्वास बढ़ जाता है यही येसु ख्रीस्त
की महान कृपा है जो न केवल दृष्टि दान प्रदान करते हैं किन्तु उन्हें जानने और देखने
की कृपा प्रदान करते हैं जो संसार की ज्योति हैं। (योहन 9:5) संत पापा ने चंगाई की
घटना पर आगे प्रकाश डालते हुए कहा कि जब अंधा व्यक्ति ने धीरे-धीरे प्रकाश देखना आरम्भ
किया, वैसे ही फ़रीसी एवं सदुकी धीरे–धीरे अपने आंतरिक अंधेपन में डूबते गये। अपने पूर्वाग्रह
में बंद उन्होंने सोचा कि वे प्रकाश में हैं। उन्होंने येसु की सच्चाई को स्वीकारने हेतु
अपने को उदार नहीं बना पाया तथा वास्तविकता को नकारने के लिए कई प्रकार के उपाय किये।
उन्होंने चंगाई प्राप्त व्यक्ति की पहचान के लिए उसकी जाति पर संदेह किया तथा चंगाई में
ईश्वर के कार्य को अस्वीकार किया यह कारण देते हुए कि ईश्वर शनिवार को काम नहीं करते
उन्होंने यह भी संदेह कि वह व्यक्ति क्यों जन्म से अंधा था। उनका अंधकार में बंद होना
उन्हें इतना क्रोधी बना दिया कि उन्होंने चंगाई प्राप्त व्यक्ति को मंदिर से निकाल दिया। संत
पापा ने कहा कि अंधे व्यक्ति की यात्रा कई चरणों में होती है सर्वप्रथम उसने येसु नाम
का ज्ञान प्राप्तकिया, तत्पश्चात् फ़रीसियों एवं संहिता के विद्वानों द्वारा दबावपूर्ण
प्रश्नों का सामना करते हुए येसु को एक नबी स्वीकार किया तथा अंत में उसने येसु को ईश्वर
के नज़दीक का व्यक्ति माना। जिसके कारण उसे मंदिर एवं समाज से बाहर निकाल दिया गया। बाद
में येसु उसे पुनः मिले एवं उसे पूर्ण दृष्टि प्रदान किया तथा उसे अपनी सच्ची पहचान प्रस्तुत
की "मैं मसीह हूँ" येसु के इतना कहने पर वह व्यक्ति उँचे स्वर में घोषित किया प्रभु मैं
आप पर विश्वास करता हूँ तथा येसु के सम्मुख नतमस्तक हो गया। संत पापा ने कहा कि यह एक
घटना है जिसे हम सुसमाचार में पाते हैं किन्तु कई बार हमारी स्थिति भी यही होती है क्योंकि
हम आंतरिक अंधेपन से जकड़े होते हैं। प्रिय भाइयो एवं बहनो, हमारा जीवन कई बार उस
अंधे व्यक्ति की तरह है जिसे दृष्टि प्राप्त हुई तथा ईश्वर को पहचानने की कृपा प्राप्त
हुई। कई बार दुभाग्यवश उन फ़रीसियों एवं सदुकियों की तरह हम अपने घमंड में अन्यों का
न्याय करते हैं यहाँ तक कि ईश्वर का भी। आज हम अपने जीवन में फलदायक बनने तथा ग़ैर-ख्रीस्तीयों
के लिए साक्षी बनने हेतु ख्रीस्त के प्रकाश को ग्रहण करने के लिए उदार बनें। हम ख्रीस्तीय
हैं किन्तु कई बार ग़ैर ख्रीस्तीयों के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार का व्यवहार
पाप नहीं हैं परन्तु हमें इसके लिए पश्चताप करते हुए ख्रीस्त के प्रकाश को धारण कर पवित्रता
के मार्ग में आगे बढ़ना है जिसकी शुरूआत बपतिस्मा संस्कार में होती है। संत पौलुस हमें
याद दिलाते हैं हम ख्रीस्त की संतान की तरह आचरण करें। (एफि.5:8) दीनता, धैर्य एवं दया
के द्वारा। उन संहिता के विद्वानों में न दीनता थी और न दया की भावना।" संत पापा
ने सलाह देते हुए कहा, "मैं आप सभी को सलह देता हूँ कि आप घर में संत योहन रचित सुसमाचार
के अध्याय 9 का पाठ करें। यह अच्छा है जो अंधकार से प्रकाश का रास्ता तथा अंधकार से और
गहन अंधकार की ओर का रास्ता कैसा है उसका ज्ञान देती है। हम अपने आप पर ग़ौर करें कि
मेरा हृदय कैसा है? क्या यह ईश्वर के लिए एक खुला हृदय है या बंद? हममें कमजोरियाँ हैं
किन्तु हम उससे भय न खायें तथा प्रभु के प्रकाश को प्राप्त करने के लिए अपने को खुला
रखें। ईश्वर हमें भला चंगा देखना चाहते हैं हमें उंजियाला देते तथा हमें क्षमा प्रदान
करने के लिए हमेशा हमारा इंतजार करते हैं, इसे हम कभी न भूलें। इन दिनों हम पास्का
की तैयारियाँ कर रहे हैं जो हमें बपतिस्मा में प्राप्त प्रकाश से प्रज्वलित करता है।
प्रार्थना एवं पड़ोसियों के प्रति उदारता के कार्यों द्वारा हम उस प्रकाश की लौ को तेज
करते हैं। संत पापा ने धन्य कुँवारी मरियम के चरणों में चालीसे की यात्रा को सौंपते
हुए कहा, ईश्वर की कृपा से चंगाई प्राप्त अंधे व्यक्ति की तरह हम उंजियाला प्राप्त कर
प्रकाश की ओर आगे बढ़ सकें तथा नव जन्म द्वारा नया जीवन प्राप्त करें। इतना कहने के
पश्चात् संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने सभी
तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। अंत में उन्होंने सभी को शुभरविवार की
मंगलकामनाएँ अर्पित।