2014-03-29 15:32:26

व्यक्ति के पास जो है उनमें सबसे कीमती उसका जीवन


वाटिकन सिटी, शनिवार, 29 मार्च 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 28 मार्च को, पश्चताप धर्मविधि की अध्यक्षता की। धर्मविधि में स्तोत्र ग्रंथ एवं पवित्र बाईबिल के ग्रंथों से पाठ तथा भक्तिगीत द्वारा पश्चताप एवं ईश्वर की दया पर मनन चिंतन किया गया।
धर्मविधि में संत पापा ने प्रवचन देते हुए कहा, "चालीसा काल में कलीसिया ईश्वर के नाम पर मन- परिवर्तन का आह्वान करती है। यह जीवन परिवर्तन का आह्वान है। मन-परिवर्तन एक पल या एक वर्ष की बात नहीं है किन्तु जीवन भर का व्यवस्थान है। हममें से कौन अपने को निष्पाप सिद्ध कर सकता है? कोई भी नहीं। प्रेरित संत योहन अपने पत्र में लिखते हैं, ‘यदि हम कहते हैं कि हम निष्पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है। यदि हम अपने पाप-स्वीकार करते हैं, तो वह हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अधर्म से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा सत्यप्रतिज्ञ है।(1योहन1.7-8)’ संत पापा ने कहा कि जब हम मेल-मिलाप संस्कार ग्रहण करते हैं तो हमारे साथ भी यही होता है।"
संत पापा ने पाठ पर प्रकाश डालते हुए ख्रीस्तीय जीवन की दो मुख्य बिन्दुओं को प्रस्तुत किया।
उनमें प्रथम है, नवीन व्यक्तित्व धारण करना। एक व्यक्ति जो ईश्वर की योजना अनुसार सृष्ट किया गया है, वह बपतिस्मा द्वारा जन्म लेता है जिसमें वह ईश्वरीय जीवन को प्राप्त करता है। इस प्रकार ईश्वर हमें ख्रीस्त में अपने पुत्र-पुत्रियाँ बनाते तथा कलीसिया में विरूपित करते हैं। इस नये जीवन द्वारा व्यक्ति सच्चाई को विभिन्न दृष्टिकोणों से देख पाता है व्यर्थ एवं नश्वर चीजों की बिना किसी बाधा के। इसी कारण हम पापी स्वभाव त्याग कर आवश्यक चीजों में मन लगाने के लिए बुलाये गये हैं क्योंकि "व्यक्ति के पास जो है उससे कीमती उसका जीवन है।" (गौदीयुम एत स्पेस, 35)
दूसरा बिन्दु है, "मेरे प्यार में दृढ़ बने रहो।" येसु ख्रीस्त का प्यार सदा बना रहता है उसके प्यार का अंत कभी नहीं होगा क्योंकि यह स्वयं ईश्वर का जीवन है। यह प्यार पाप पर जीत हासिल करना है तथा हमें उठने एवं नयी शुरूआत करने के लिए बल प्रदान करता है क्योंकि क्षमा द्वारा हृदय का नवीनीकरण होता है तथा जीवन में ताज़गी आती है। पिता हमें प्यार करने तथा हमारी आस देखने में कभी थकान महसूस नहीं करते हैं।
संत पापा ने अंत में कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, इस धर्मविधि को मनाने के पश्चात् हम में से कई लोगो मेल-मिलाप के संस्कार के साक्षी बनेंगे। आप जिस किसी से मिलते हैं उन्हें पिता द्वारा प्राप्त क्षमा एवं मित्रता के रिश्ते की नवीनता के आनन्द को बाँटें। येसु हमारा इंतजार कर रहे हैं हम उनसे मिलने चलें और ईश्वर के आनन्द में पास्का पर्व मनायेंगे।
विदित हो कि यह धर्मविधि संत पापा के आह्वान पर सम्पन्न हुई जिसमें उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजाघर तथा अन्य गिरजाघरों को प्रार्थना एवं मेल-मिलाप संस्कार हेतु 24 घंटों तक खुला रखकर, ख्रीस्त की क्षमा के त्यौहार को मनाने का आह्वान किया था।








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