इतालवी सांसदों के लिए संत पापा ने पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 27 मार्च 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 27 मार्च
को, वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में 493 इतालवी सांसदों के लिए पावन ख्रीस्तयाग
अर्पित किया। उन्होंने प्रवचन में येसु के समय के प्रशासनिक वर्ग पर प्रकाश डाला जो
जनता से दूर, उनका परित्याग करते एवं कार्य में असक्षम थे तथा भ्रष्टाचार के प्रति अपने
विचारधाराओं और झुकावों के अनुसार चलते थे। संत पापा ने कहा, "येसु के समय में जिन
लोगों की हुकुमत चलती थी उनकी ताक़त इन्हीं विचार धाराओं में निहित थी जिसके कारण उन्होंने
मसीह को नहीं पहचाना, इतना तक कि उन्होंने उन्हें बेलजेबुल का दर्जा दिया।" नबी येरेमियस
के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि नबी ने उस पीढ़ी को प्रस्तुत
किया है जिसपर ईश्वर ने विलाप किया था क्योंकि उसने ईश्वर की वाणी को अस्वीकार किया तथा
अपने पापों को न्यायसंगत ठहराने का प्रयास किया था। ईश्वर कहते हैं "उन्होंने मुझसे मुख
मोड़ लिया है" संत पापा ने कहा कि यही ईश्वर का दुख है। सुसमाचार पाठ में हम इसे अंधेपन
के रूप में पाते हैं, विशेषकर जनता के नेताओं का अंधापन। उन लोगों का हृदय इतना कठोर
हो चुका था कि वे ईश्वर की वाणी सुनने में असमर्थ थे। पापियों के समान ईश्वर से दूर भागते
एवं भ्रष्ट हो चुके थे और एक भ्रष्ट का वापस लौटना अत्यन्त कठिन है। इसके विपरीत, ईश्वर
दयालु हैं वे हम सभी का इंतजार करते हैं किन्तु भ्रष्ट लोगों ने अपना रास्ता निर्धारित
कर लिया है और वे उसे छोड़ना नहीं चाहते जिसके कारण वे अपनी सफाई देते हैं क्योंकि येसु
ने अपने सादे विचार किन्तु ईश्वर की शक्ति से उन्हें चुनौती दी।" संत पापा ने कहा,
"जिन लोगों ने ग़लत रास्ता अपनाया, उन्होंने ईश्वर के मुक्तिदायी प्यार को रोका, उनके
प्यार का तिरस्कार तथा इस तिरस्कार के फलस्वारूप उन्होंने वह रास्ता अपनाया जो ईश्वर
का नहीं है किन्तु मानसिक आवश्यकता मात्र है जिसमें ईश्वर के लिए कोई जगह नहीं है।
संत पापा ने प्रवचन के अंत में कहा कि चालीसा काल हमें याद दिलाता है कि ईश्वर हम
सभी से प्यार करते हैं अतः हमें उनके प्रति उदार होना चाहिए। चालीसे की इस यात्रा में
हम ईश्वर के प्यार पर चिंतन करें। हम अपने आप से पूछें कि क्या मैं भ्रष्ट लोगों के रास्ते
पर तो नहीं हूँ? क्या मैं अपने आप को न्याय संगत सिद्ध करने का प्रयास तो नहीं करता?
यह वह रास्ता है जो हमें अंतिम लक्ष्य तक नहीं ले जा सकता है। हम प्रार्थना करें कि ईश्वर
हमें मुक्ति के मार्ग को चुनने की कृपा प्रदान करे।