वाटिकन सिटीः विनम्रता का पथ मुक्ति को ओर अग्रसर, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 25 मार्च सन् 2014 (एशिया न्यूज़): "मुक्ति के लिये ज़रूरी है विनम्रता
एवं आत्मत्याग, क्योंकि ईश्वर हमारी सुरक्षाओं के बीच नहीं अपितु हमारी कमज़ोरियों, हमारे
पापों, हमारी ग़लतियों तथा आध्यात्मिक उपचार हेतु हमारी आवश्यकताओं के बीच हमें पाते
हैं।"
सोमवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में
ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने यह बात कही। बाईबिल धर्मग्रन्थ में निहित
कुष्ठ रोगी सिरियाई नामान की चंगाई तथा सिदोन में विधवा की नबी एलियाह से मुलाकात की
घटनाओं पर सन्त पापा फ्राँसिस चिन्तन कर रहे थे जिनमें प्रभु येसु कहते हैं कि "किसी
भी नबी का अपने यहाँ स्वागत नहीं होता।"
सन्त पापा ने कहा, "कुष्ठ रोगी नामान
और सिदोन की विधवा दोनों समाज से दरकिनार कर दिये गये थे किन्तु इसके बावजूद नबियों को
स्वीकार करने के कारण उन्हें मुक्ति मिली। इनके विपरीप, नाज़रेथ के लोगों ने येसु को
स्वीकार नहीं किया था इसलिये कि "वे अपनी आस्था के बारे में विश्वस्त थे, नियमों के पालन
के प्रति इतने कठोर थे कि उन्होंने मुक्ति की आवश्यकता ही नहीं समझी।"
सन्त
पापा ने कहा, "विश्वास के बिना नियमों के अन्धे पालन का यही परिणाम होता है।"
उन्होंने
कहा कि इस प्रकार के विचार हमें मुक्ति नहीं दिला सकते क्योंकि प्रभु येसु कहते हैं कि
यदि तुम अपने आप को दरकिनार कर दिये गये या हाशिये पर रहनेवाले नहीं समझोगे तब तक तुम
मुक्ति नहीं पा सकते। उन्होंने कहा, "विनम्रता का मार्ग ही हमें मुक्ति तक, प्रभु तक
ले जाता है।"
सन्त पापा ने कहा, "नबी एलिशा नामान कोढ़ी से सात बार यर्दन नदी
में स्नान करने को कहते हैं जिसपर आरम्भ में वह क्रुद्ध होता है, इसे अपना अपमान समझता
है किन्तु बाद में आज्ञापालन द्वारा शुद्ध हो जाता है। उसी प्रकार प्रभु हमसे विनम्रता
के कृत्य की मांग करते हैं, वे बाल सुलभ आज्ञाकारिता की मांग करते हैं।"
सभी
को विनम्रता का वरदान मिले इस मनोरथ के लिये सन्त पापा ने प्रार्थना का सभी से निवेदन
किया।