ईश्वर द्वारा प्राप्त क्षमा के वरदान के लिए हम आनन्द मनायें
वाटिकन सिटी, सोमवार 24 मार्च 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, रविवार 23 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना के पूर्व उन्हें सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आज
का सुसमाचार पाठ समारी स्त्री के साथ येसु के म़ुलाकात की घटना को प्रस्तुत करता है जो
सेकर के नज़दीक एक पुराना कुआं के पास घटित हुआ जिसमें वह हर रोज पानी भरने आया करती
थी। उस दिन उसने येसु को वहाँ बैठा पाया। यात्रा से थके येसु ने तुरन्त उससे पानी माँगा,
इस प्रकार येसु ने यहूदियों एवं समारियों के बीच की दुश्मनी के घेरे से बाहर आकर महिलाओं
के प्रति पूर्वाग्रह के सांचे को तोड़ डाला। येसु के इस साधारण सवाल से उनकी खुली बात-चीत
शुरू हुई जिसमें येसु ने बड़ी विनम्रता के साथ, एक ऐसी व्यक्ति के आंतरिक दुनिया में
प्रवेश किया जिससे उन्हें साधारण बात-चीत तक की इज़ाजत नहीं थी किन्तु येसु ने ऐसा किया।"
संत पापा ने कहा, "येसु डरते नहीं हैं। वे जब एक व्यक्ति को देखते हैं तो खुद आगे आते
हैं क्योंकि वे उसे प्यार करते हैं। वे हम सभी को प्यार करते हैं। पूर्वाग्रह के कारण
येसु आगे आने से कभी इनकार नहीं करते। येसु परिस्थित के अनुसार पेश आते हैं वे व्यक्ति
का न्याय नहीं करते किन्तु उसे पहचाने जाने का एहसास दिलाता हैं जिसके कारण व्यक्ति में
दैनिक जीवन की आदतों से बाहर आने की चाह उत्पन्न होती है।"
संत पापा ने कहा,
"येसु पानी के लिए अधिक प्यासे नहीं थे किन्तु एक सूखी आत्मा से मिलना चाहते थे। येसु
को समारी स्त्री से मिलना था जिससे कि वे उसका हृदय द्वार खोलें तथा उसकी तीब्र प्यास
बूझाने के लिए उसे पीने को कहें। इस म़ुलाकात से स्त्री बहुत प्रभावित हुई। येसु गंभीरता
से उन सवालों में बढ़ते गये जो हम सभी के दिलों में है किन्तु बहुधा हम उन्हें अनदेखा
करते हैं। हमारे मन में भी कई सवाल उठते हैं किन्तु हममें येसु के समान साहस की कमी है।"
संत पापा ने कहा कि प्रिय भाइयो एवं बहनो, अपने अंदर झाँकने, अपनी सच्ची आध्यात्मिक
आवश्यकताओं को प्राप्त करने तथा प्रार्थना मेँ ईश्वर की सहायता माँगने के लिए चालीसा
एक उपयुक्त समय है। समारी स्त्री का उदाहरण हमें निमंत्रण देता है कि हम अपने को इस प्रकार
प्रकट कर सकते हैं, "येसु मुझे वह जल दीजिए जिससे मैं हमेशा के लिए अपनी प्यास बूझा सकूँ।" येसु
के शिष्यों की ओर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि सुसमाचार पाठ बतलाता है कि गुरू
को एक महिला के साथ बात करते देख शिष्य अचंभित हुए किन्तु प्रभु पूर्वाग्रह से महान हैं।
वे पूर्वाग्रह के कारण समारी स्त्री से बात करने से इनकार नहीं करते क्योंकि करूणा उसके
घाव से बढ़कर है। हमें अच्छी तरह यह सीख लेना चाहिए कि घाव दया से बढ़कर है और येसु अत्यन्त
दयालु हैं जिसके कारण वे समारी स्त्री से म़ुलाकात करते हैं। कुएं के पास हुए मुलाकात
का परिणाम यह होता है कि महिला का हृदय परिवर्तन हो जाता है। वह अपना घड़ा जिसमें पानी
भरने आयी थी उसे छोड़, शहर दौड़कर लोगों को अपना असाधारण अनुभव बतलाती है। "मैंने एक
आदमी को पाया है जिसने मेरे बारे सब कुछ बतला दिया है। क्या वे ही मसीहा हैं? "
संत
पापा ने कहा कि वह महिला कुआं से पानी भरने गयी थी तथा उसने दूसरा जल पाया, जीवन जल जो
अनन्त जीवन के लिए करूणा है। उसने उसी जल को पा लिए था जिसके लिए वह प्यासी थी। उसने
उस गाँव में जाने का साहस किया जिसने उसका न्याय किया, दण्ड दिया तथा उसका बहिष्कार किया
था। उसने गाँव जाकर घोषणा किया कि उसे मसीह मिल गये हैं जिन्होंने उसका जीवन बदल डाला
है क्योंकि येसु के साथ हर मुलाकात हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है तथा एक कदम आगे ले
चलता है, ईश्वर के करीब एक कदम आगे। अतः येसु के साथ हमारी हर मुलाकात हमारे जीवन को
बदलता है।
संत पापा ने कहा, "इस सुसमाचार पाठ से हम अपने सुराही को त्यागने की
प्रेरणा प्राप्त करते हैं, वे सभी चीजें जो हमारे लिए महत्वपूर्ण प्रतीत होती हैं किन्तु
ईश्वर के प्यार के सम्मुख उसका कोई मूल्य नहीं है। संत पापा ने विश्वासियों से प्रश्न
किया, "आपकी आंतरिक सुराही क्या है? वह कौन सी चीज है जो आपको ईश्वर से दूर कर देती है?
हम छोड़ा- थोड़ा करते उससे छोड़ दे। अपने हृदय में येसु की वाणी सुनें जो हमें दूसरा
जल प्रदान करता हैं जो हमें ईश्वर के करीब लाता है जो पवित्र आत्मा के द्वारा हमारे हृदय
में डाला गया है।(रोम.5:5) हम महत्वपूर्ण बातों की खोज करने के लिए बुलाये गये हैं बपतिस्मा
में प्राप्त हमारे ख्रीस्तीय जीवन के असली अर्थ को। यह जल समारी महिला की तरह हमारे भाई-बहनों
के लिए हमें साक्षी बनाता है। साक्ष्य द्वारा हमें आनन्द की प्राप्ती होती है ख्रीस्त
का साक्ष्य देने का अनन्द। इस प्रकार, प्रभु हमारे जीवन में कितने आश्चर्यजनक कार्य सम्पन्न
करते हैं तथा हमें अपनी सुराही का त्याग करने का साहस प्रदान करते हैं। वे हमारे जीवन
को प्यार से भर देते हैं। इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का
पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त
करने के पश्चात् संत पाप ने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सम्होधित
कर कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, अभी मैं दो शब्दों को याद कर रहा हूँ: येसु के साथ प्रत्येक
मुलाकात हमारे जीवन को बदल डालता है तथा येसु के साथ हर मुलाकात हमें आनन्द से भर देता
है। आइये हम इसे एक साथ दुहरायें, ..." संत पापा ने कहा कि कल विश्व क्षय रोग दिवस
है। हम उन सभी के लिए प्रार्थना करते हैं जो इस रोग से ग्रसित हैं तथा उस सभी के लिए
भी जो विभिन्न तरह से क्षय रोगी की मदद करते हैं। अगामी शुक्रवार एवं शनिवार पश्चताप
का एक सुन्दर अवसर होगा जिसे हम प्रभु के लिए 24 घंटे कहकर पुकार सकते हैं। इस समारोह
की शुरूआत शुक्रवार दोपहर को संत पेत्रुस महागिरजाघर में होगी तथा संध्या से लेकर रात
तक रोम के केंद्र स्थित अन्य गिरजाघर प्रार्थना एवं मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेने हेतु
खुले रखे जायेंगे। हम इसे क्षमाशीलता का त्यौहार के नाम से पुकार सकते हैं जो विश्व के
कई धर्मप्रांतों एवं पल्लियों में भी सम्पन्न होगें। ईश्वर ने क्षमा का वरदान हमें प्रदान
किया है उसके लिए हम आनन्द मनायें जिस प्रकार उड़ाव पुत्र के दृष्टांत में पुत्र के वापस
घर लौटने पर पिता ने उसके सभी दोष माफ कर उत्सव रचाया। अंत में संत पापा ने सहृदय
सभी का अभिवादन किया तथा शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।।