वाटिकन सिटी, 22 मार्च सन् 2014: तोरिबियो आल्फोन्सो मोग्रोवेहो का जन्म स्पेन के
मायोर्का में सन् 1538 ई. को हुआ था। तोरिबियो आल्फोन्सो ने वकालात का अध्ययन किया तथा
बाद में सालामान्का विश्वविद्यालय में वाकालात के प्राध्यापक बने। स्पेन के राजा फिलिप
द्वितीय के शासन काल में, अभिषिक्त पुरोहित न होने के बावजूद, तोरिबियो आल्फोन्सो को
ग्रानाडा की धर्माधिकरण अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। राजा फिलिप ने बाद में
उन्हें पेरु में लीमा के महाधर्माध्यक्ष पद पर भी नियुक्त कर दिया था।
पुरोहिताभिषेक
और फिर धर्माध्यक्षीय अभिषेक के बाद सन् 1581 ई. में तोरिबियो आल्फोन्सो मोग्रोवेहो लीमा
के महाधर्माध्यक्षीय पद पर आसीन हुए। लीमा महाधर्मप्रान्त का कार्यभार अपने हाथ में लेने
के तुन्त बाद धर्माध्यक्ष मोग्रोवेहो ने सुधार अभियान आरम्भ कर दिया तथा स्पानी उपनिवेशियों
के अधीन पीड़ित पेरु की जनजातियों तथा निर्धनों के अधिकारों की रक्षा हेतु कृतसंकल्प
हो गये। उन्होंने स्कूलों, अस्पतालों और गिरजाघरों का निर्माण करवाया तथा नये विश्व में
पहले काथलिक गुरुकुल की स्थापना की। अपनी प्रेरिताई को भलीप्रकार निभाने के लिये उन्होंने
पेरु की जनजातियों में बोली जानेवाली भाषा का भी अध्ययन किया तथा अपने जीवन के अन्त तक
समाज के परित्यक्तों एवं निर्धनों की जी जान से सेवा की।
तोरिबियो आल्फोन्सो
मोग्रोवेहो का निधन सन् 1606 ई. में हो गया था। सन् 1726 ई. में उन्हें सन्त घोषित किया
गया था। तोरिबियो आल्फोन्सो मोग्रोवेहो का पर्व दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है।
चिन्तनः
प्रभु ईश्वर में अटल विश्वास हमें भले कार्यों की शक्ति देता तथा मैत्री, पुनर्मिलन एवं
प्रेम के सन्देशवाहक बनता है।