मुम्बईः बच्चों के अवैध व्यापार पर पुरस्कार पानेवाली फिल्म भारत में प्रकाशित
मुम्बई, 21 मार्च सन् 2014 (ऊका समाचार): भारत में बच्चों की तस्करी की समस्या को उजागर
करनेवाली, पुरस्कार विजेता फिल्म, शुक्रवार को, सिनेमाघरों में प्रकाशित की गई। फिल्म
एक सच्ची कहानी पर आधारित है जिसमें देह व्यापार में बेची गई लड़की अपने अपहर्ताओं को
दोषी करार देखने के लिए संघर्ष करती है।
"लक्ष्मी" शीर्षक से निर्मित हिन्दी
भाषाई फिल्म नागेश कुकनूर द्वारा निर्देशित है जो फिल्म में एक क्रूर दलाल की भूमिका
भी निभा रहे हैं। एक विश्लेषक ने फिल्म को "पेट मंथन" करनेवाली निरूपित किया है।
निर्देशक
नागेश कुकनूर ने बताया कि भारत के दक्षिणी तट पर एक बचाव केंद्र में तस्करी की शिकार
एक लड़की से मिलने के बाद उन्हें फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली।
कुकनूर ने कहा,
"वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर एक 14 वर्षीय लड़की आज़ाद होने के बाद अपने तस्करों को अदालत
की सीढ़ियों तक खींचती है, यह वास्तव में एक सम्मोहक कहानी है और साथ ही साहस की मिसाल
है।"
उन्होंने बताया कि जब वे लड़की से मिले तब वह 17 वर्ष की हो चुकी थी तथा
एक बचाव केन्द्र में काम कर रही थी।
निर्देशक कुकनूर ने बताया कि लड़की के मामले
पर दिया फ़ैसला, उनके राज्य आन्ध्रप्रदेश में, अपनी तरह का पहला फ़ैसला था किन्तु उसके
बाद से लड़कियों द्वारा अपने अपहरणकर्त्ताओं को अदालत तक लाने में 100 से अधिक मामलों
को सफलता मिली है।
प्रति वर्ष दक्षिण एशिया एवं भारत के अन्दर हज़ारों बच्चों
की तस्करी की जाती, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता तथा उन्हें वेश्यावृत्ति के लिये
मजबूर किया जाता है।
एक स्वतंत्र फिल्म रूप में, इस वर्ष, अमरीका के पाम स्प्रिंग्स
फिल्म समारोह में "लक्ष्मी" फिल्म को पुरस्कृत किया गया है। फिल्म में निहित क्रूर दृश्यों
के कारण भारत में इसे केवल वयस्कों के लिये पास किया गया है।