2014-03-10 12:25:31

वाटिकन सिटीः रविवारीय देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश


वाटिकन सिटी, 10 मार्च सन् 2014 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 09 मार्च को, मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना के लिये एकत्र तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सन्त पापा फ्राँसिस ने, शुभ दिन की मंगलकामनाएं अर्पित करने के उपरान्त इस प्रकार सम्बोधित कियाः


"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,


प्रतिवर्ष, चालीसाकाल के प्रथम रविवार के लिये निर्धारित सुसमाचार पाठ येसु के प्रलोभन की कहानी हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं, जब यर्दन नदी में बपतिस्मा ग्रहण कर लेने के बाद उनपर अवतरित पवित्रआत्मा ने उनसे आग्रह किया था कि अपना सार्वजनिक मिशन आरम्भ करने से पूर्व वे उजाड़ प्रदेश में चालीस दिन तक शैतान का खुलकर सामना करें।"


सन्त पापा ने कहा, "प्रलोभक प्रभु येसु का ध्यान पिता की योजना से दूर हटाने की कोशिश करता है, और वह है, बलिदान और प्रायश्चित्त रूप में अर्पित प्रेम के रास्ते से हटाने का प्रयास करता है; ताकि वे सरल रास्ता अपनायें, सफलता और शक्ति का मार्ग अपनायें। येसु और शैतान के बीच द्वन्द्व पवित्र धर्मग्रन्थों में निहित उद्वरणों के साथ शुरु होता है। वस्तुतः, क्रूस के रास्ते से येसु को हटाने के लिये शैतान मिथ्या मसीही उम्मीदों को उनके समक्ष रखता हैः पत्थरों को रोटियों में बदल देने की क्षमता से इंगित आर्थिक कल्याण; जेरूसलम के मंदिर के उच्चतम बिंदु से ख़ुद को नीचे गिराने और स्वर्गदूतों द्वारा बचाये जाने की शानदार और चमत्कारिक शैली; और अन्ततः, शैतान की पूजा के बदले में सत्ता और वर्चस्व का शार्टकट। ये लालच के या प्रलोभन के तीन समूह हैं। इनसे हम सब भी भलीभाँति परिचित हैं।"


यह कहते हुए कि येसु, शैतान के इन प्रलोभनों का बहिष्कार करते हैं सन्त पापा ने आगे कहाः

"येसु, निर्णायक ढंग से, इन सब प्रलोभनों का बहिष्कार करते तथा पाप अथवा सांसारिक तर्कणा के साथ किसी भी प्रकार का समझौते किये बिना, पिता द्वारा स्थापित मार्ग पर चलने के दृढ़ इरादे की परिपुष्टि करते हैं। येसु की प्रतिक्रिया क्या है इस पर हम अच्छी तरह ध्यान दें: वे शैतान के साथ वार्तालाप नहीं करते जैसा की इस लौकिक स्वर्ग पर हेवा ने किया था। येसु अच्छी तरह जानते हैं कि शैतान के साथ वार्तालाप नहीं किया जा सकता क्योंकि वह चालाक है। इसीलिये, हेवा के समान वार्तालाप करने के बजाय येसु ईश वचन की शरण लेना तथा ईश वचन की शक्ति से जवाब देना पसन्द करते हैं। इसे हम अपने प्रलोभन के क्षण में याद रखें, अपने प्रलोभन के क्षण में: शैतान के संग हम बहस नहीं करें अपितु ईश वचन का उपयोग कर स्वतः का बचाव करें। यह हमें बचा लेगा।"


उन्होंने कहाः "शैतान को दिये अपने उत्तरों में, ईश वचन का उपयोग कर, प्रभु हमें सबसे पहले यह स्मरण दिलाते हैं कि "मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता है। वह ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है" (सन्त मत्ती 4:4; देखिये विधि विवरण ग्रन्थ 8:3), और यह हमें शक्ति प्रदान करता है, उस सांसारिक मानसिकता के खिलाफ लड़ाई में समर्थन देता है जो मनुष्यों को बुनियादी ज़रूरतों के स्तर तक गिरा देती तथा उनमें सत्य, भलाई एवं सुन्दर की भूख को मिटा डालती है, ईश्वर एवं उनके प्रेम के प्रति भूख को नष्ट कर देती है। वे यह भी याद दिलाते हैं, ''यह भी लिखा है- अपने प्रभु-ईश्वर की परीक्षा मत लो", क्योंकि विश्वास का मार्ग अन्धकार व सन्देह से भी होकर गुज़रता है तथा धैर्य एवं दृढ़प्रतिज्ञ प्रत्याशा से पोषित होता है। अन्त में, येसु इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराते हैं कि "यह लिखा हैः "प्रभु, तुम्हारा ईश्वर है, तुम उन्हीं की आराधना करोगे और केवल उन्हीं की सेवा करोगे," इसका अर्थ है, हमें सभी भक्तिभाजन से, आडम्बरों से स्वतः को अलग करना चाहिये तथा अनिवार्य बातों पर अपने जीवन का निर्माण करना चाहिये। ऐसा करने पर ही येसु के ये शब्द उनके कार्यों में ठोस प्रतिक्रिया प्राप्त कर पायेंगे। पिता की योजना के प्रति उनकी परम निष्ठा उन्हें, लगभग तीन वर्ष बाद, दुखभोग एवं क्रूस की घड़ी में, "इस संसार के नायक" के विरुद्ध चरम संघर्ष तक ले जायेगी (योहन 16:11), और वहाँ येसु अपनी चरम विजय, प्रेम की विजय हासिल करेंगे।"

आगे, चिन्तन समाप्त करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः

"प्रिय भाइयो और बहनो, सुसमाचार के इस पाठ पर निष्ठापूर्वक मनन कर, चालीसाकाल हम सबके लिये मनपरिवर्तन की तीर्थयात्रा का अनुकूल अवसर बन सकता है। हम सब मिलकर बपतिस्मा संस्कार की प्रतिज्ञाओं को नवीकृत करेः हम प्रलोभक शैतान तथा उसके सभी कार्यों एवं प्रलोभनों का बहिष्कार करें, क्योंकि वह एक प्रलोभक है, है ना? – ताकि ईश्वर के मार्ग पर चल सकें तथा "पवित्रआत्मा के आनन्द में पास्का तक पहुँच सकें" (देखिये चालीसाकाल के पहले रविवार, वर्ष ए की प्रार्थना)।


इतना कहकर सन्त पापा फ्राँसिस ने उपस्थित भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबपर प्रभु ईश्वर की शांति का आह्वान कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

देवदूत प्रार्थना के बाद सन्त पापा ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विभिन्न तीर्थयात्री समूहों का सौहार्दपूर्ण अभिवादन करते हुए कहाः

"बियेल्ला तथा वरचेल्ली, दा लाओरा दी पायेस्तुम, सान मारसानो, ऑस्ता, लातिना, आवेल्लिनो तथा पाखिनो से आये पल्ली समूहों का मैं हार्दिक आभिवादन करता हूँ। साथ ही स्पेन के एल्के स्थित "सान्ता मरिया" कॉलेज से आये तीर्थयात्रियों का मैं अभिवादन करता हूँ।


तदोपरान्त, सन्त पापा ने आगामी रविवार को रोज़ोलीना में दृढ़करण संस्कार ग्रहण करनेवाले बच्चों तथा रोम में येसु के अनुसरण की शपथ ग्रहण करनेवाले तोस्काना के युवाओं के प्रति बधाईयाँ अर्पित कीं। इटली के अन्य धर्मप्रान्तों से आये तीर्थयात्रियों का भी सन्त पापा ने सस्नेह अभिवादन किया तथा चालीसाकाल में विश्व के क्षुधा पीड़ितों का स्मरण करने की अपील की, उन्होंने कहाः


"चालीसाकाल के दौरान, हम, विश्व में व्याप्त भुखमरी के विरुद्ध, विश्व व्यापी कलीसिया के उदारता संगठन "कारितास इन्टरनासियोनालिस" के अभियान के प्रति निमंत्रण को सदैव ध्यान में रखें। सबके लिये मेरी मंगलकामना है कि कुछ समय पूर्व आरम्भ चालीसाकाल विपुल फल उत्पन्न करे; आप सबसे मैं अपने लिये तथा रोमी कार्यालय के सहयोगियों के लिये प्रार्थना का अनुरोध करता हूँ जो आज सन्ध्या से एक सप्ताह की आध्यात्मिक साधना शुरु कर रहे हैं। धन्यवाद!

आप सबको शुभ रविवार एवं दोपहर का सुखद भोजन, आरिविदेरची।"











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