वाटिकन सिटी, बुधवार 5 मार्च, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज राखबुध का पुण्य दिवस
है और इसी के साथ हम येसु ख्रीस्त के पास्का रहस्य अर्थात दुःखभोग, मृत्यु और पुनरुत्थान
को मनाने के लिये प्रार्थना, पश्चात्ताप और तपस्या की चालीसाकालीन यात्रा आरंभ करते हैं।
चालीसा काल में कलीसिया हमें आमंत्रित करती है कि हम हर्ष और कृतज्ञता के भाव
से ईश्वर के उस असीम प्रेम पर चिन्तन करें जिसे उन्होंने पास्का रहस्य में प्रकट किया
है ताकि हम बपतिस्मा संस्कार से प्राप्त जीवन को पूर्ण रूप से जी सकें।
येसु
के पदचिह्नों पर चलते हुए हमारा आध्यात्मिक नवीनीकरण का जीवन हमें इस बात के लिये आमंत्रित
करता है हम उसे जाने और आध्यात्मिक और वास्तविक गरीबी के साथ अपना जीवन बितायें।
इसका
अर्थ है उस संस्कार के दबाव क लगातार विरोध करें जो इस बात का प्रचार करता है कि ईश्वर
के बिना दुनिया चल सकता है, जहाँ माता-पिता अपने बाल-बच्चों को धर्मशिक्षा नही देते,
जहाँ हिंसा, गरीबी और सामाजिक अपकर्ष को आम माना जाता है।
आज हम प्रार्थना करें
कि चालीसाकाल एक ऐसा समय हो जब व्यक्तिगत तथा सामुदायिक रूप से सुसमाचार के वचनों तथा
विश्वास के रहस्यों पर चिन्तन करें, त्याग तथा तपस्या करें अपने को उदार बनाते हुए ईशकृपा
को ग्रहण करें और अपने पड़ोसियों तथा ज़रूरतमंदों की सहायता करें।
इतना कह कर,
संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत इंगलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया
वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड.
जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के
तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा
प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।