2014-03-04 11:56:19

वाटिकन सिटीः ख्रीस्तीय इतिहास को न भुलाये, सन्त पापा फ्राँसिस स्पानी धर्माध्यक्षों से


वाटिकन सिटी, 04 मार्च सन् 2014 (सेदोक): स्पेन के काथलिक धर्माध्यक्षों से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि वे ख्रीस्तीय धर्म के इतिहास को न भुलायें जिसने उन्हें उदात्त मानवीय मूल्यों की शिक्षा प्रदान की है।

कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ अपनी पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात, "आद लीमिना" के लिये स्पेन से रोम पधारे काथलिक धर्माध्यक्षों से मुलाकात कर सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को स्पानी धर्माध्यक्षों को सामूहिक रूप से सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने स्पेन तथा पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों में काथलिक कलीसिया की स्थिति पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया।

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "इस समय जब आप अनेक बपतिस्मा प्राप्त ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के उपेक्षभाव की कठिन स्थिति का अनुभव कर रहे हैं तथा ईश्वर को सार्वजनिक जीवन से अलग कर व्यक्तिगत जीवन तक सीमित करनेवाली सांसारिक संस्कृति की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तब यह आवश्यक है कि इतिहास को न भुलाया जाये।"

उन्होंने कहा, "इतिहास से हम सीखते हैं कि ईश्वर की कृपा कभी समाप्त नहीं होती तथा पवित्रआत्मा वर्तमान वास्तविकता में भी उदारतापूर्वक क्रियाशील रहना जारी रखते हैं।"

अस्तु, उन्होंने कहा, "प्रिय भाइयो, मनुष्य का हृदय स्पर्श करनेवाले सुसमाचार के नये मार्गों को खोलने में आप कोई कसर न छोड़ें ताकि लोग उस सत्य की पुनर्खोज कर सकें जो पहले से उनके हृदयों में बस चुका है।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने स्पानी धर्माध्यक्षों को परामर्श दिया कि वे अपने गिरजाघरों को मिशन के स्थायी गढ़ बनाये ताकि लोग और, विशेष रूप से, बच्चे विश्वास में सुदृढ़ हो सकें तथा कलीसिया से अलग हुए अनुयायी पुनः कलीसियाई समुदाय में लौट आयें।

सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि विश्वास केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर नहीं है बल्कि यह वह वरदान है जो येसु का साक्षात्कार करने पर मिलता है।








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