2014-03-03 16:01:14

चालीसा काल बुराई से लड़ने का मार्ग


वाटिकन सिटी, सोमवार, 3 मार्च 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 2 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्हें संबोधित कर कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार की धर्मविधि के केन्द्र में हम एक सांत्वाना पूर्ण सच्चाई को पाते हैं वह है ईश्वर की विधि। नबी इसायस इस छवि को मातृतुल्य प्यार एवं कोमला के रूप में प्रस्तुत करते हैं- ''क्या स्त्री अपना दुधमुँहा बच्चा भुला सकती है? क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी? यदि वह भुला भी दे, तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊँगा।"(इसा.49.15) ईश्वर की दया पर भरोसा रखने हेतु निमंत्रण का दूसरा समान उदाहरण संत मती रचित सुसमाचार में मिलता है जहाँ ईश्वर हम से कहते हैं, "आकाश के पक्षियों को देखो। वे न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्हारा स्वर्गिक पिता उन्हें खिलाता है, क्या तुम उन से बढ़ कर नहीं हो? और कपडों की चिन्ता क्यों करते हो? खेत के फूलों को देखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि सुलेमान अपने पूरे ठाट-बाट में उन में से एक की भी बराबरी नहीं कर सकता था।"(मती 6.26,28-29)
संत पापा ने आज के समाज पर ग़ौर करते हुए कहा, "मैं अनिश्चित परिस्थिति में जी रहे लोगों के बारे में सोचता हूँ जो ग़रीबी एवं कठिनाईयों के कारण अपमानित महसूस करते हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसे समय में येसु के ये वचन निराकार प्रतीत हो सकते हैं किन्तु यह वास्तव में ऐसा नहीं है। ये हमें याद दिलाते हैं कि हम ईश्वर और धन रूपी दो स्वामियों की सेवा एक साथ नहीं कर सकते। यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार करने की कोशिश भी करे तो वह कभी सच्चा नहीं हो सकता। दूसरी ओर, यदि हम ईश्वर की विधि पर भरोसा रखकर उनके राज्य की खोज करते हैं तो हमें प्रतिष्ठा के साथ जीने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं होगी है।
निजी इच्छाओं से भरा हृदय, ईश्वर की दृष्टि में एक खोखला हृदय है जिसके बारे में येसु ने बारम्बार धनियों को चेतावनी दी है क्योंकि उनके लिए सांसारिक वस्तुओं को अपनी सुरक्षा कवच बनाने का ख़तरा सदा बना रहता है। धन द्वारा संचालित हृदय में विश्वास के लिए स्थान बहुत कम होता है किन्तु यदि अपने अंदर ईश्वर के न्याय के लिए जगह खाली रखा जाए तो उनके प्रति प्यार हमें अपने धन अन्यों के बीच बांटने के लिए प्रेरित करता है, हमें उदार सेवा एवं विकास के कार्यों हेतु प्रोत्साहन देता है जिसका उदाहरण हम कलीसिया के इतिहास में पाते हैं।
जिस रास्ते पर चलने के लिए येसु हमें प्रेरित करते हैं वह आम विचारधारा के अनुसार एवं आर्थिक समस्या के कारण निरर्थक लग सकता है किन्तु यदि हम इस पर चिंतन करें तो यह हमें सही मूल्य का पहचान देगा। येसु कहते हैः "मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो- न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ कर नहीं? और क्या शरीर कपडे से बढ़ कर नहीं? (मती.6.25) यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी रोटी, पानी, कपड़ा, मकान, रोज़गार, स्वास्थ्य आदि से वंचित न रहे, हम सभी को यह समझना आवश्यक होगा कि हम सब पिता ईश्वर की संतान हैं एवं आपस में एक-दूसरे के भाई बहन और यदि सभी में ऐसी भावना जागेगी तो हम एक-दूसरे के प्रति उदारता की भावना से प्रेरित होकर कार्य करेंगे। संत पापा ने 1 जनवरी को प्रकाशित अपने शांति संदेश की याद करते हुए कहा, "शान्ति की राह भ्रातृत्व की राह है।"
संत पापा ने रविवारीय पाठ पर पुनः ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि हम ईश्वरीय दया की माता धन्य कुँवारी मरियम को पुकारें। कलीसिया की यात्रा एवं मानवता के प्रति हम अपना जीवन उन्हें सिपुर्द करें, विशेष रूप से, हम उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि हम सभी सरल और शांत जीने की ओर अग्रसर हो सकें एवं ज़रूरतमंद भाई-बहनों की आवश्यकताओं पर ध्यान दे सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने यूक्रेनवासियों के लिए प्रार्थना जारी रखने का आग्रह किया।
संत पापा ने दृढ़करण संस्कार ग्रहण करने वाले नये सदस्यों को येसु के साथ संबंध मज़बूत बनाये रखने एवं अधिक फलप्रद बनाने की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सभी विश्वासियों को चालीसा काल के आरम्भ होने की याद दिलाई और कहा, "हम इस सप्ताह चालीसा काल की शुरूआत करने जा रहे हैं जो ईश प्रजा द्वारा पास्का की ओर एक यात्रा है। यह मन-परिवर्तन एवं प्रार्थना, उपवास एवं उदारता के कार्यों द्वारा बुराई से लड़ने का मार्ग है। मानव को न्याय, मेल-मिलाप और शांति की आवश्यकता है जो इन सभी के स्रोत ईश्वर की ओर पूरे हृदय से लौटने द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। हम ग़रीबी एवं हिंसक संघर्षों से जूझ रहे लोगों के प्रति भाईचारे की भावना से चालीसा में प्रवेश करें।
अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।








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