प्रेरक मोतीः डेनमार्क के धन्य चार्ल्स (1083-1127ई.) (02 मार्च)
वाटिकन सिटी, 02 मार्च सन् 2014:
चार्ल्स का जन्म डेनमार्क में, सन् 1083 ई.
में, हुआ था। राजा कानूथ (सन्त कानूथ) की तीन सन्तानें थीं। चार्ल्स एकमात्र पुत्र थे।
सन् 1086 ई. में चार्ल्स के पिता राजा कानूथ की, सन्त आलबन गिरजाघर में, हत्या कर दी
गई थी। पिता की मृत्यु के बाद चार्ल्स की माता उन्हें काऊन्ट ऑफ फ्लेन्डर्स के राजदरबार
में ले गई। वहीँ उनके नाना राजा रॉबर्ट के अधीन उनका लालन पालन हुआ। रॉबर्ट की मृत्यु
के उपरान्त उनके पुत्र बॉल्डविन उनके उत्तराधिकारी बने जिन्होंने चार्ल्स को अपना उत्तराधिकारी
नियुक्त कर दिया।
चार्ल्स का विवाह क्लेयरमोन्ट के काऊन्ट की पुत्री के साथ करा
दिया गया तथा 1119 ई. में बॉल्डविन की मृत्यु के बाद उन्होंने राजगद्दी सम्भाली। चार्ल्स
ने सूझबूझ, विवेक और साथ ही लोगों के प्रति दया एवं सहानुभूति से राजपाठ चलाया। निर्धनों
का शोषण करनेवालों की चालों को रोकने का उन्होंने भरसक प्रयास किया तथा कालाबाज़ारी बन्द
करवा दी। इससे उनके कई शत्रु खड़े हो गये। 02 मार्च, सन् 1127 ई. को, जब चार्ल्स सन्त
दोनेशइयन के गिरजाघर में विनती कर रहे थे तब आततियों ने आकर उनका वध कर डाला। धन्य चार्ल्स
का पर्व, 02 मार्च को, मनाया जाता है।
चिन्तनः प्रभु ख्रीस्त में अपने
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के चँगुल में न फँसे।