वाटिकन सिटी, शुक्रवार 28 फरवरी, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने 27 फरवरी बृहस्पतिवार
को वाटिकन सिटी स्थित बोलोनिया सभागार में धर्माध्यक्षीय सभा को संबोधित करते हुए कहा
कि धर्माध्यक्षीय सभा इस बात ध्यान रखती है कि धर्माध्यक्षीय उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति हो
जो येसु मसीह द्वारा बुलाया गया हो।
उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षीय सभा का एक
विशेष प्रेरितिक कार्य है कि वह सही उम्मीदवार को चुने जो कि एक चुनौतिपूर्ण कार्य है
क्योंकि सभा को उस व्यक्ति का चुनाव करना है जिसका चयन पवित्र आत्मा करते ताकि वे कलीसिया
की अगवाई कर सकें।
संत पापा ने कहा कि ईशप्रजा को मैनेजर नहीं, न ही कम्पनी
प्रशासक चाहिये। उसे चाहिये एक ऐसा व्यक्ति जो अपने को उस उँचाई तक ले चले जहाँ से वह
लोगों का मार्गदर्शन कर सके ताकि लोग ईश्वर तक पहुँच सकें।
संत पापा ने कहा कि
कलीसिया को चाहिये ऐसे धर्माध्यक्ष जो ईश्वर के योजना जानते हैं, जो अपने छोटे दायरे
से ऊपर हैं और जो लोगों के ह्रदयों के लिये कार्य करते न कि झूठे वादे करते हैं।
संत
पापा ने धर्माध्यक्षीय सभा को सलाह दी कि वे ईश्वर की व्यापक क्षितिज को प्राप्त करने
के लिये प्राथमिकता, सहानुभूति, झुकाव, उद्गम स्थान जैसी बातों की चिन्ताओं से ऊपर उठें।
धर्माध्यक्ष नम्र हों तथा सेवा और पवित्र जीवन उनकी विशेषता हो। उनका कार्य हो
पुनर्जीवित येसु का साक्ष्य देना, क्रूसित येसु से संयुक्त रहना तथा उसके लिये प्राण
देने का साहस करना। उनके डीएनए में हो अपनी रेवड़ के लिये उदारतापूर्वक अपना जीवन दे
देना का उत्साह।
उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्ष का जीवन अपने लिये नहीं है पर कलीसिया
के लिये है, अपनी रेवड़ के लिये. दूसरों के लिये और विशेष करके ऐसे लोगों के लिये जो
दुनिया द्वारा दरकिनार कर दिये जाते हैं।
संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि जो
व्यक्ति धैर्यवान नहीं है जो ईश्वर के साथ बातचीत नहीं कर सकता है वह धर्माध्यक्ष कदापि
नहीं बन सकता है।