ख्रीस्तीयों के अनुरूप जीने हेतु प्रार्थना की अति आश्यकता
वाटिकन सिटी , 27 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक):"ख्रीस्तीय बेतुकापन कलंकित करता एवं कलंक
मार डालता है।" ये बात संत पापा फ्राँसिस ने 27 फरवरी को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास
संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा के दौरान कही।
संत पापा ने प्रवचन
में दृढ़करण संस्कार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो इस संस्कार को ग्रहण करता वह ख्रीस्तीय
होने की दृढ़ इच्छा को प्रकट करता है। उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय होने का अर्थ है येसु
ख्रीस्त का साक्ष्य देना, एक ख्रीस्तीय के समान सोचना, अनुभव करना एवं कार्य करना। कार्डिनलों
की लोक सभा परिषद के अनुसार ख्रीस्तीय धर्मानुयायी में विश्वास का होना आवश्यक है। यदि
व्यक्ति में विश्वास के साथ ख्रीस्तीय सदगुणों का अभाव है तो वह असली ख्रीस्तीय नहीं
है वह कलंकित ख्रीस्तीय जीवन व्यतीत करता है जो बहुत बुरा है।"
संत पापा ने प्रेरित
संत याकूब के पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जिसमें संत याकूब ख्रीस्तीय होने के
दावेदारों एवं अपने मजदूरों के साथ बुरा वर्ताव करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए ख्रीस्तीयों
का एक बड़ा कलंक कहा है। संत पापा ने कहा, "येसु ने कलंक का खूब विरोध किया है। उन्होंने
ने तो इतना भी कह दिया है कि जो मेरे इन नन्हों में से एक के लिए भी कलंक का कारण बनता
है उसके गले में चक्की का पाट बांधकर समुद्र में फेंक देना बेहतर है। "
संत पापा
ने बल देते हुए कहा कि जो ख्रीस्तीय कलंक का कारण बनता है वह हत्यारा है। कई लोग शिकायत
करते हैं कि वे ईश्वर पर विश्वास करते किन्तु कलीसिया में विश्वास नहीं करते क्योंकि
ख्रीस्तीय कहते कुछ एवं करते कुछ हैं। ये बातें ख्रीस्तीयों द्वारा निष्ठापूर्ण जीवन
नहीं जीने के कारण सुनाई पड़ती है। संत पापा ने अंत में प्रार्थना करने का आग्रह करते
हुए कहा, "हम प्रार्थना करें क्योंकि ख्रीस्तीयों के अनुरूप जीवन जीने के लिए प्रार्थना
की अति आश्यकता है। ख्रीस्तीय निष्ठा ईश्वर का वरदान है जिसके लिए हमें ईश्वर से प्रार्थना
करने की ज़रूरत है। हम सभी पापी है, किन्तु हम ईश्वर से क्षमा याचना कर सकते हैं ईश्वर
क्षमा प्रदान करने में कभी नहीं थकते हैं वे हम सभी को अपनी कृपा प्रदान करें।