2014-02-26 11:52:18

वाटिकन सिटीः "युद्ध और संघर्ष हमारे हृदयों की उपज", सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, 26 फरवरी सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने चेतावनी दी कि युद्ध और झगड़े हमारे हृदयों की ही उपज हैं।

झगड़े एवं कलह के भाव की कड़ी निन्दा करते हुए सन्त पापा ने कहा, "युद्ध एवं संघर्ष हमारे हृदयों में जन्म लेते जो एक ओर बच्चों को शरणार्थी शिविरों में भूख से मरने के लिये छोड़ देते तथा दूसरी ओर हथियारों के उस्ताद जश्न मनाते हैं।"

"तुम्हारे बीच युद्ध और कलह कहाँ से उत्पन्न होती है? सम्भवतः तुम्हारे हृदय से, तुम्हारे मनोभावों से", सन्त याकूब के पत्र से लिये पाठ के इस प्रश्न पर सन्त पापा ने चिन्तन किया।

उन्होंने कहा, "प्रतिदिन हम समाचारों में युद्ध के कारण विभाजन, मृत्यु एवं हिंसा से पीड़ित लोगों के बारे में पढ़ते हैं और इन घटनाओं को दैनिक घटनाएं मानकर उनपर ध्यान नहीं देते जबकि इस तथ्य पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक है कि युद्ध और संघर्ष हमारे हृदयों में ही पनपते हैं इसलिये ईश्वर के समक्ष विनम्र बनकर हृदयों को शुद्ध करना अनिवार्य है।"

प्रथम विश्व युद्ध के 100 वर्ष पूरे होने का स्मरण कर सन्त पापा ने कहा, "100 वर्ष बाद, आज भी यत्र-तत्र युद्ध जारी हैं, लोगों के बीच विभाजन और संघर्ष बने हुए हैं तथा स्वार्थ के लिये लोग एक दूसरे की जान ले रहे हैं, लोग हिंसा से पीड़ित हो रहे हैं।"

बाईबिल में निहित काईन और हाबिल की कहानी पर ध्यान आकर्षित कराकर सन्त पापा ने कहा कि जब बच्चे उस कहानी को सुनते हैं तो यह अनुमान नहीं लगा पाते कि किस प्रकार एक भाई अपने भाई की जान ले सकता है किन्तु आज लाखों भाई अपने भाइयों को मार रहे हैं और यह मानों आम बात हो गई है। उन्होंने कहा, "युद्ध मार्केट में नहीं मिलते बल्कि हमारे हृदयों में पनपते हैं। कितने लोग प्रथम विश्व युद्ध में एक छोटे से भूभाग के लिये, किसी एक लक्ष्य के लिये अथवा घृणा के कारण मारे गये थे?

इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कि हमारे मनोभाव ही हमें झगड़े के लिये उकसाते हैं सन्त पापा ने कहा कि झगड़े की स्थिति में शान्ति से समस्या को सुलझाने के बजाय हम उसपर दलीलें देने लगते हैं जिससे बचना ज़रूरी है।









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