धर्माध्यक्ष एवं शहीद सन्त सेवेरियन गलीलिया में
सिथोपोलिस के धर्माध्यक्ष थे। सन् 451 ई. में धर्माध्यक्ष सेवेरियन कालसेडोन की धर्मसभा
में शरीक हुए थे। उन्होंने उस युग के अपधर्मियों के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलन्द की थी
तथा ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयता की रक्षा के प्रति समर्पित रहे थे। उन्हीं के ठोस वाद-विवाद
ने कालसेडोन की धर्मसभा में अपधर्मियों को पराजित किया था। इसी धर्मसभा के उपरान्त जब
वे वापस धर्मप्रान्त लौटे तब, तत्कालीन सम्राट थेओदोसियुस के आदेश पर, अपधर्मियों द्वारा
उनकी हत्या कर दी गई। ख्रीस्तीय विश्वास के ख़तिर अपने प्राणों की आहुति देनेवाले धर्माध्यक्ष
सेवेरिन कलीसिया के शहीद एवं सन्त घोषित कर दिये गये। उनका स्मृति दिवस 21 फरवरी को मनाया
जाता है।
चिन्तनः प्रभु येसु कहते हैं: "धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के
कारण अत्याचार सहते हैं! स्वर्गराज्य उन्हीं का है। धन्य हो तुम जब लोग मेरे कारण तुम्हारा
अपमान करते हैं, तुम पर अत्याचार करते हैं और तरह-तरह के झूठे दोष लगाते हैं। खुश हो
और आनन्द मनाओ स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। तुम्हारे पहले के नबियों
पर भी उन्होंने इसी तरह अत्याचार किया था" (सन्त मत्तीः 5, 10-11)।