2014-02-15 15:53:27

जो रूक जाता वह रोगी ख्रीस्तीय है


वाटिकन सिटी, शनिवार, 15 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): "एक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी ख्रीस्त का शिष्य है। ख्रीस्त जो निरंतर चलता है, आगे बढ़ता है। एक ख्रीस्तीय से रूकने की आशा नहीं की जा सकती, जो रूक जाता है वह रोगी ख्रीस्तीय है।" यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 14 फरवरी को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पवित्र मिस्सा के दौरान कही।
संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया। पाठ में संत लूकस 72 शिष्यों को सुसमाचार की घोषणा के लिए भेजे जाने की घटना का वर्णन करते हैं।
संत पापा ने कहा, "एक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी की प्रथम पहचान है चलना। उस परिस्थिति में भी चलते जाना जब कठिनाईयाँ हों, कठिनाईयों से पार होकर आगे बढ़ना। येसु अपने चेलों को परामर्श देते हैं कि वे चौराहों पर जाएँ तथा भले और बुरे सभी को निमंत्रण दें।"
संत पापा ने ख्रीस्तीय की दूसरी पहचान मेमना बताया। उन्होंने कहा कि एक ख्रीस्तीय को सदा मेमने की तरह रहना है। येसु अपने शिष्यों को भेड़ियों के बीच मेमने की तरह भेजते हैं। वे भेड़िया बनने की सलाह कभी नहीं देते हैं।
संत पापा ने कहा कि भेड़ियों से भी अधिक ताकतवर बनने का प्रलोभन किसी को मिल सकता है किन्तु ख्रीस्तीयों को हमेशा भेड़ ही बनकर रहना है। तथापि उन्होंने कहा कि भेड़ बनकर रहना है पर एक मूर्ख भेड़ नहीं किन्तु ख्रीस्तीय चतुराई के साथ। संत पापा ने कहा, "यदि आप भेड़ हैं ईश्वर आपकी रक्षा करते हैं किन्तु आप यदि स्वतः को भेड़िये के समान शक्तिशाली महसूस करते हैं वे आपकी रक्षा नहीं करेंगे।"
ख्रीस्तीयों की तीसरी पहचान के बारे में संत पापा ने कहा कि वह आनन्द है जो ख्रीस्त को जानने के द्वारा उत्पन्न होता है। कठिनाईयों, ग़लतियों एवं पाप की स्थिति में भी एक आनन्द है, येसु को पहचानने का आनन्द इसलिए क्योंकि येसु सदा पापों को क्षमा करते और हमारी मदद करते हैं।
संत पापा ने कहा कि जो सभी बातों में शोक करते हैं वे दुखी है वे प्रभु एवं कलीसिया के लिए कोई भला काम नहीं करते हैं। आनन्द के साथ सुसमाचार की घोषणा ख्रीस्तीयों की जीवनशैली है।








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