वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने अमरीकी
यहूदी समिति के सदस्यों से 13 फरवरी को क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात कर यहूदियों एवं
ख्रीस्तियों के बीच वार्ताओं की पहल हेतु विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। संत
पापा ने कहा कि अगले वर्ष द्वितीय वाटिकन महासभा के दस्तावेज ‘नोस्त्रा ऐताते’ की 50
वीं वर्षगाँठ मनाया जाएगा। इस अवसर पर हमारी वार्ता में ईश्वर के साथ संबंध पर चिंतन
किया जाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समझौता वार्ता के साथ-साथ ऐसे रास्ते भी
ढ़ूँढने की आवश्यकता है जिनसे यहूदियों एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के बीच सच्चाई एवं
भाईचारे की भावना से अनुपूरित विश्व के निर्माण हेतु सहयोग प्राप्त हो। संत पापा ने कहा,
"मैं ग़रीबों, हाशिए के लोगों एवं दुख सह रहे लोगों की सेवा के प्रति हमारे आम प्रयासों
की याद करता हूँ। हमारा समर्पण पवित्र बाईबिल पर आधारित ग़रीबों, विधवाओं, अनाथों और
परदेशियों की सेवा से जुड़ा है। यह हमें पवित्र एवं न्यायी ईश्वर द्वारा प्रदत्त है अतः
यह हमारा सच्चा धार्मिक कर्तव्य है। संत पापा ने अंत में कहा कि हमारे सभी प्रयास
व्यर्थ न हो जाए इसलिए आपसी समझदारी एवं मित्रता को नयी पीढ़ी तक हस्तांतरित किया जाना
आवश्यक है। उन्होंने समिति के समपर्ण के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। संत पापा ने येरूसालेम
में अपनी आगामी प्रेरितिक यात्रा की याद करते हुए वहाँ सभी लोगों से मिलने की खुशी ज़ाहिर
की तथा यात्रा की सफलता हेतु प्रार्थना करने का आग्रह किया।