वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन के प्रेरितिक आवास ‘साला
बोलोन्या’ में आयोजित काथलिक शिक्षा संबंधी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ की प्लेनरी सभा में
भाग ले रहे प्रतिनिधियों से संत पापा फ्राँसिस ने 13 फरवरी को मुलाकात की। संत पापा
ने कहा, "लगातार हो रहे परिवर्तनों के बीच सुसमाचार की घोषणा आज ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक
पृष्टभूमि में, काथलिक शिक्षा कलीसिया की बड़ी चुनौतियों में से एक है।" उन चुनौतियों
के मद्देनजर संत पापा ने कुछ पहलुओं को ध्यान में रखने की सलाह दी, उनमें प्रथम पहलू
है शिक्षा में वार्ता का महत्व। संत पापा ने कहा कि काथलिक शिक्षा में वार्ता की आवश्यकता
है क्योंकि काथलिक स्कूलों में न केवल काथलिक विद्यार्थी किन्तु ग़ैरख्रीस्तीय विद्यार्थी
भी विद्या अर्जित करते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बहुमुखी विकास पर विशेष ध्यान
देने तथा प्रत्येक विद्यार्थी की धार्मिक स्वतंत्रता का कद्र करना आवश्यक है। संत पापा
ने शिक्षण कार्य में येसु का अनुसरण करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि येसु जीवन, विश्व
एवं इतिहास के मार्ग हैं। येसु ने गलीलिया के ग़ैरयहूदियों के बीच, सभी जाति, संस्कृति
एवं धर्म के लोगों को शिक्षा प्रदान की। वही पृष्टभूमि आज के युग में भी है। शिक्षण संस्थाओं
में सेवारत लोगों को अधिक सहभागिता, वार्ता एवं उदारता द्वारा बहुसांस्कृतिक समाज में
एकता को बढ़ावा देते हुए काथलिक विशिष्टता को बनाये रखने की आवश्यकता है। संत पापा
ने शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाना काथलिक शिक्षा का दूसरा आवश्यक पहलू बतलाया। उन्होंने
कहा कि पाठ्य क्रम के साथ-साथ शिक्षा के स्तर को ऊँचा करने तथा युवाओं को मूल्यों का
ज्ञान देना भी आवश्यक है। काथलिक शिक्षा के तीसरे पहलू को संत पापा ने शैक्षिक संस्थानों
पर आधारित बतलाया। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि काथलिक स्कूल अपने को विश्व
के अन्य स्कूलों से अलग रखें किन्तु वर्तमान परिस्थिति से अवगत होते हुए सचेत रहें कि
वे विद्यार्थियों को क्या देना चाहते हैं। संत पापा ने अंत में सभी को उनकी सेवाओं
के लिए धन्यवाद दिया तथा माता मरिया की मध्यस्थता से प्रार्थना करते हुए अपना प्रेरितिक
आर्शीवाद प्रदान किया।