2014-02-10 14:50:42

भ्रष्टाचार से लोगों की रक्षा हेतु बुलावा


वाटिकन सिटी, सोमवार 10 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 10 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्हें संबोधित कर कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार का सुसमाचार पाठ पर्वत प्रवचन के तुरन्त बाद आता है जिसमें येसु अपने शिष्यों से कहते हैं, "तुम पृथ्वी के नमक हो, तुम संसार की ज्योति हो।" (मती 5:13-14) यह हमें चकित करता है। हम उन लोगों के बारे में सोचें जिन्हें येसु ने ये प्रवचन सुनाये थे। वास्तव में वे शिष्य कौन थे? वे थे साधारण मछुवे, किन्तु येसु ने उन्हें ईश्वरीय दृष्टि से देखा। उनका वचन पर्वत प्रवचन के आलोक में स्पष्ट समझा जा सकता है। येसु कहना चाहते हैं कि यदि आप मन के दीन हैं, नम्र हैं, यदि आपका हृदय निर्मल है, यदि आप दयालु हैं, तो आप पृथ्वी के नमक एवं संसार की ज्योति बनेंगे।"
इन प्रतीकों को अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए हम यहूदियों की सहिंता पर ग़ौर करें उसमें कहा गया है कि व्यवस्थान के चिन्ह स्वरूप ईश्वर के सम्मुख उपस्थित लोगों पर नमक छिड़काया जाता था तथा दीपक इस्रालियों के लिए मसीहा की प्रकाशना का प्रतीक था। वह प्रकाश जो ग़ैर-यहूदी होने के अंधकार से प्रकाश की विजय थी।
संत पापा ने कहा, "ख्रीस्तीयों यानी नवीन इस्राएलियों ने विश्वास एवं उदारता द्वारा सभी लोगों के मार्गदर्शन, पवित्रीकरण तथा मानव जीवन को अर्थपूर्ण बनाने का मिशन प्राप्त किया है। सभी बपतिस्मा प्राप्त ख्रीस्तीय एवं मिशनरी संसार में एक सजीव सुसमाचार बनने के लिए बुलाये गये हैं। एक पवित्र जीवन द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में नमक के समान आनन्द रूपी स्वाद भरने एवं ख्रीस्त की ज्योति का उदार साक्षी बन कर भ्रष्टाचार से लोगों की रक्षा हेतु बुलाये गये हैं किन्तु यदि ख्रीस्तीयों के जीवन में नमक का गुण एवं ज्योति के प्रकाश का अभाव हो जाए तो वे ख्रीस्तीयता का गुण खो बैठेगें।"
संत पापा ने कहा कि संसार में ज्योति लाने का सुन्दर मिशन किसने आरम्भ किया है। यह हमारा मिशन है। यह अति उत्तम है कि जिस प्रकाश को हम ने येसु द्वारा प्राप्त किया है उसे अपने में बनायें रखें एवं उसकी रक्षा करें। एक ख्रीस्तीय को एक प्रकाशमान व्यक्ति होना चाहिए। जो प्रकाश लाता है, जो हमेशा प्रकाशमान रहता है। ऐसा प्रकाश जो उसका अपना नहीं है किन्तु ईश्वर का वरदान है। हम ख्रीस्त की ज्योति को लेकर चलते हैं। यदि ख्रीस्तीय इस प्रकाश को बुझा देते हैं तो उनके जीवन का कोई अर्थ नहीं है। वे नाम मात्र के ख्रीस्तीय हैं। संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों से प्रश्न करते हुए कहा, "आप किस प्रकार जीना चाहते हैं? जलते हुए दीपक के समान या बुझे हुए दीये के समान? " जो दीपक ईश्वर ने हमें प्रदान किया है हम उसे अन्यों में बाटें। यही ख्रीस्तीय बुलाहट है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने कहा, "11 फरवरी को लूर्द की माता मरिया का त्यौहार है और उसी दिन विश्व रोगी दिवस मनाया जाता है। यह एक शुभ अवसर है कि बीमारों को हम समाज के केंन्द्र में रखकर याद करते हैं। हम उनके लिए प्रार्थना करें एवं उनके नज़दीक रहें। विश्व रोगी दिवस का संदेश है ‘हम प्रेम का मर्म इससे पहचान गये कि ईसा ने हमारे लिए अपना जीवन अर्पित किया और हमें भी अपने भाइयों के लिए अपना जीवन अर्पित करना चाहिए।’" (1 योहन3:16) ख़ासकर, हम बीमारों के प्रति येसु के मनोभव का अनुसरण करें, सभी प्रकार के बीमारों के प्रति। येसु सभी प्रकार के बीमारों की देख भाल करते हैं, उनके दुखों को बाँटते एवं हृदय के द्वार को आशा के लिए प्रशस्त कर देते हैं।
संत पापा ने स्वास्थ्य सेवा में संलग्न लोगों की याद करते हुए कहा कि वे बहुमूल्य कार्य सम्पन्न करते हैं। संत पापा ने उन्हें उनके सेवा कार्य के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "वे प्रति दिन बीमारों से मुलाकात करते हैं न केवल शारीरिक रोग से ग्रसित लोगों से किन्तु निराश लोगों से भी। वे उनकी देखभाल द्वारा अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं। मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा उनकी मानसिक शक्ति और क्षमता से कम नहीं हो सकती है तथा उनके कमज़ोर, अयोग्य एवं असहाय हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती।"
संत पापा ने सभी परिवारों की भी याद की तथा उन्हें अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया। उन्हें एक-दूसरे की प्रेमपूर्वक सहायता करने की सलाह दी जिससे कि वे अपने बीच ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव कर सकें। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी पृथ्वी के नमक एवं संसार के दीपक हैं अतः वे बीमारों के प्रति सहानुभूति रखें। उन्होंने धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता से प्रार्थना की कि वे इसका अभ्यास करने एवं दुख सह रहे लोगों के बीच शांति एवं आराम लाने में हमारी सहायता करें।
संत पापा ने रूस के सोची मे चल रहे ऑलम्पिक खेल के सभी आयोजकों एवं खिलाड़ियों का अभिवादन किया तथा खेल की शुभकामनाएँ दीं।
उसके पश्चात् देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा विभिन्न देशों में प्राकृतिक आपदा से त्रस्त लोगों के लिए प्रार्थनाएँ अर्पित कीं। विदा लेने से पूर्व उन्होंने विश्वासियों को पुनः याद दिलाया कि वे सदा प्रज्वलित दीपक बने रहें।
अंत में सभी को उन्होंने शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।








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