2014-02-08 17:11:58

श्रीलंका के तीर्थयात्रियों से संत पापा ने की मुलाकात


वाटिकन सिटी, शनिवार 8 फरवरी 2014 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 8 फरवरी को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में, श्रीलंका काथलिक कलीसिया की 75 वीं वर्षगाँठ पर रोम की तीर्थयात्रा पर आये श्रीलंका के सभी ख्रीस्तीय विश्वासियों का अभिवादन किया।
संत पापा ने 75 वर्षों पूर्व श्री लंका की विकट परिस्थिति की याद करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जब गहन अंधेरा छाया हुआ था, लोगों ने अपने आपको माता मरिया के चरणों में सिपुर्द कर दिया था जो सदा अपने बच्चों की सुधि लिया करती है।
संत पापा ने कहा, "माता मरिया सदा हमारे साथ है, वह हम सभी को मातृतुल्य प्यार से निहारती है तथा हमारी जीवन यात्रा में साथ देती है। किसी प्रकार की आवश्यकता में उनकी ओर आने से न हिटकिचायें विशेषकर जीवन की कठिनाईयों में। प्राकृतिक सौंदर्य एवं आकृति के कारण आपकी मातृभूमि समुद्र की मोती कही जाती है। कहा जाता है कि ऑइस्टर मच्छली की आँसू से मोती का निर्माण होता है, दुर्भाग्य से हाल के वर्षो में गृह युद्ध के कारण बर्बादी हुई और बहुत आँसू बहाये गये।"
संत पापा ने उन्हें सांत्वाना देते हुए कहा कि यद्यपि उन घावों से उबर पाना एवं कल के दुश्मनों को साथ लेकर भविष्य का निर्माण करना सहज नहीं है तथापि यही एकमात्र रास्ता है जो भविष्य की आशा, उन्नति, एवं शांति प्रदान कर सकता है।
संत पापा ने उन्हें प्रार्थनाओं का आश्वासन देते हुए अपने लिए भी प्रार्थना का आग्रह किया तथा बेहतर भविष्य की शुभकामनाएँ अर्पित कर उन्हें माता मरिया की मध्यस्थता में सिपुर्द किया।
अंत में उन्होंने श्रीलंकावासियों के बीच शांति एवं मेल-मिलाप की कृपा के लिए ईश्वर से प्रार्थना की तथा उन्हें अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।








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