वाटिकन सिटी, शुक्रवार 7 फरवरी, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित
सान्ता मार्ता अतिथि निवास के प्रार्थनालय में 6 फरवरी बृहस्पतिवार यूखरिस्तीय बलिदान
चढ़ाते हुए प्रवचन में कहा, "हम कृपा माँगे हम पूर्ण आशा के साथ मृत्यु को प्राप्त करें।"
उन्होंने कहा, " हम कृपा माँगे कि हमारी मृत्यु घर में हो, कलीसिया में हो और
हम एक ऐसा विरासत छोड़ जायें जो कृपा, मानवता और ख्रीस्तीय जीवन के साक्ष्य से पूर्ण
हो।"
अपन प्रवचन में संत पापा ने तीन बातों पर बल दिया। उन्होंने राजा दाउद का
उदाहरण देते हुए कहा कि जब उनकी मृत्यु हुई तो वह अपने लोगों के बीच था, ऐसे लोग अन्त
तक ईशप्रजा बने रहे। राजा दाऊद ने गलती करने के बाद अपने को पापी स्वीकार किया पर उसने
ईश्वरीय प्रजा को कभी नहीं छोड़ा।
संत पापा ने कहा, " दाऊद एक पापी था पर विश्वासघाती
नहीं। इसलिये हमारे लिये यह बात बहुत ज़रूरी है कि हम कलीसिया को कदापि न छोड़ें। यह
एक कृपा है जिसे खरीदा नहीं जा सकता है।यह एक ऐसी कृपा है जिसके लिये हम ईश्वर से निवेदन
कर सकते हैं।"
दूसरी बात जिस पर संत पापा ने लोगों का ध्यान खींचते हुए कहा,
"दाउद अपनी मृत्यु के समय शांत और स्थिर था क्योंकि उसे एक आशा थी कि वह वहाँ जा रहा
है जहाँ उसके पुरखे निवास करते हैं अर्थात् वह अपने परिवार ही में वापस जा रहा और वह
अकेला नहीं है।"
संत पापा ने कहा कि तीसरी बात जिसे हमें ध्यान देना चाहिये
कि हम एक विरासत छोड़ दे। कहा जाता है कि एक व्यक्ति को दुनिया में बच्चा, पुस्तक या
पौधे छोड़ जाना चाहिये। ख्रीस्तीयों के लिये यह विरासत है - ख्रीस्तीमय जीवन का साक्ष्य।