2014-02-06 11:35:56

वाटिकन सिटीः बच्चों की सुरक्षा के प्रति वाटिकन की वचनबद्धता, कलीसियाई धर्मशिक्षा में हस्तक्षेप पर खेद


वाटिकन सिटी, 06 फरवरी सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन ने बुधवार को एक विज्ञप्ति जारी कर बच्चों की सुरक्षा के प्रति काथलिक कलीसिया की वचनबद्धता दुहराई। तथापि, मानव प्रतिष्ठा सम्बन्धी काथलिक कलीसियी की शिक्षाओं में हस्तक्षेप पर खेद जताया।
बुधवार को जिनिवा में बाल अधिकार सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र संघीय समिति ने अपने 65 वें सत्र की समाप्ति पर परमधर्मपीठ सहित कॉन्गो, जर्मनी, पुर्तगाल, रूस तथा यमन पर अपने अवलोकनों की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में परमधर्मपीठ एवं काथलिक कलीसिया पर समिति ने बच्चों की पर्याप्त सुरक्षा न करने के गम्भीर आरोप लगाये हैं। रिपोर्ट में, खास तौर से, कहा गया कि परमधर्मपीठ ने बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार के अपराधी पुरोहितों पर उचित कार्रवाई नहीं की बल्कि उन्हें छिपाने की कोशिश की।
इन गम्भीर आरोपों के उत्तर में जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के राजदूत महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थॉमासी ने कहा कि वे इन आरोपों से आश्चर्यचकित हैं क्योंकि काथलिक कलीसिया एवं परमधर्मपीठ द्वारा बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार को रोकने तथा बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित्त करने के लिये जो कदम उठायें हैं उन पर समिति ने तनिक भी ग़ौर नहीं किया। उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ द्वारा उठाये गये कदम ठोस एवं सिद्ध तथ्य हैं जिन्हें किसी भी प्रकार तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।"
महाधर्माध्यक्ष थॉमासी ने कहा कि विगत 16 जनवरी को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघीय समिति के समक्ष कलीसिया की पहलों का ब्योरा दिया था किन्तु उक्त रिपोर्ट में उसका कोई ज़िक्र नहीं है इसलिये ऐसा लगता है कि संयुक्त राष्ट्र संघीय समिति की रिपोर्ट बहुत पहले से लिखी गई थी जिसमें पारदर्शिता की कमी है।
बुधवार को ही परमधर्मपीठ ने इस सिलसिले में एक विज्ञप्ति जारी कर बच्चों की सुरक्षा के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुनरावृत्ति करते हुए लिखाः "बाल अधिकारों की सुरक्षा से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र संघीय सम्विदा पर हस्ताक्षर करनेवाले सदस्यों में होने के नाते, परमधर्मपीठ, अन्तरराष्ट्रीय कानून एवं मानदण्डों के अनुसार प्रस्तावित रिपोर्ट का गहन अध्ययन एवं परीक्षण करेगी तथा 16 जनवरी को समिति के साथ सम्पन्न वाद विवाद पर भी विचार करेगी।"
महाधर्माध्यक्ष थॉमासी ने यह भी बताया कि समिति के कुछ सदस्य चाहते थे कि परमधर्मपीठ गर्भपात एवं गर्भनिरोधक आदि पर अपनी स्थिति में परिवर्तन करे। इस सन्दर्भ में विज्ञप्ति में आगे कहा गया, "परमधर्मपीठ इस बात पर खेद व्यक्त करती है कि समिति की रिपोर्ट के अन्तिम बिन्दुओं में मानव प्रतिष्ठा सम्बन्धी काथलिक कलीसिया की शिक्षा में हस्तक्षेप के प्रयास किये गये हैं।"









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