ऐतिहासिक आरमेनिया (वर्तमान तुर्की के सिवास)
में ब्लेज़ का जन्म एक नेक और कुलीन परिवार में हुआ था। ब्लेज़ एक चिकित्सक थे तथा बाद
में आरमेनिया के सेबास्तिया के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। "आक्टा सान्तोरुम" अर्थात्
सन्त चरित के अनुसार ब्लेज़ को उनके ख्रीस्तीय विश्वास के कारण पीट-पीट कर मार डाला गया
था और अन्त में उनका सिर धड़ से अलग कर दिया गया था। लातीनी रीति की कलीसिया में शहीद
सन्त ब्लेज का पर्व 3 फरवरी को जबकि पूर्वी रीति की कलीसियाओं में यह 11 फरवरी को मनाया
जाता है।
सन्त ब्लेज़ के विषय में आठवीं शताब्दी से एक दन्तकथा प्रचलित है और
वह यह कि जब वे सेबास्तिया के धर्माध्यक्ष थे तब उनके पास एक किशोर को लाया गया था जिसके
गले में मछली का काँटा चुभकर अटक गया था। किशोर मरने पर था किन्तु धर्माध्यक्ष ब्लेज़
ने उसके गले पर दो मोमबत्तियाँ रखकर प्रार्थना की और किशोर बिल्कुल चंगा हो गया था। इसी
कारण सन्त ब्लेज़ के पर्व के दिन पल्लियों में गले की आशीष दी जाती है।
एक और
दन्तकथा यह है कि धर्माध्यक्ष ब्लेज़ को दिव्य दर्शन प्राप्त हुए थे जिसमें उनसे कहा
गया था कि वे पहाड़ों में निकल जायें ताकि तत्कालीन राज्यपाल लीचिनियुस के अत्याचारों
से बच सकें। पहाड़ों में ब्लेज़ एक गुफा में रहने लगे जहाँ जंगली जानवरों की कमी नहीं
थी। इनमें से बहुत से पशु अस्वस्थ थे तथा धर्माध्यक्ष ब्लेज़ की गुफा के इर्द गिर्द बैठे
रहते थे। ब्लेज़, स्वतंत्र रूप से, इनके बीच घूमा करते थे तथा इनका उपचार किया करते थे।
इसी बीच, लीचिनियुस के सैनिक धर्माध्यक्ष ब्लेज़ को ढूँढ़ते हुए पहाड़ों तक पहुँच गये
तथा उन्हें गिरफ्तार कर ले आये। रास्ते में उन्हें एक भेड़िया पालतू सुअर को पकड़ते मिला।
ब्लेज़ ने भेड़िये से आग्रह किया कि वह सुअर को बख्श दे क्योंकि वह एक निर्धन महिला की
सम्पत्ति थी। भेड़िया सुअर को छोड़कर चला गया। सैनिक धर्माध्यक्ष ब्लेज़ को बन्दीगृह
ले आये जहाँ उन्हें नाना प्रकार उत्पीड़ित किया गया तथा मरने के लिये भूखा छोड़ दिया
गया। इसी बीच, कृतज्ञ निर्धन महिला भोजन एवं दो मोमबत्तियाँ लिये बन्दीगृह में घुस आई।
सैनिकों ने ब्लेज़ से पूछताछ की तथा उन्हें कोड़े लगाये। बाद में राज्यपाल लीचिनियुस
के आदेश पर ब्लेज़ का सिर धड़ से अलग कर उन्हें मार डाला गया। शहीद सन्त ब्लेज़ का पर्व
3 फरवरी को मनाया जाता है।
चिन्तनः सन्त ब्लेज़ से प्रार्थनाः "सन्त ब्लेज़
हमारे लिये प्रार्थना कर कि हम गले के रोगों से पीड़ित न होवें तथा उन सब के लिये भी
प्रार्थना कर जो पीड़ित हैं ताकि वे ईश प्रेम की शक्ति से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें,
आमेन।"