2014-02-03 13:17:55

आनन्द का रहस्य- ईश्वर के प्रति निष्ठा


वाटिकन सिटी, सोमवार 3 फरवरी, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने कहा, " येसु के समर्पण के त्योहार पर युवा और वृद्ध सभी ईश्वर के प्रति अपनी विश्वसनीयता से आनन्द प्राप्त कर सकते हैं।"
संत पापा ने उक्त बात उस समय कहा जब उन्होंने येसु का मंदिर में समर्पण पर्व के दिन 2 फरवरी को विश्व समर्पण दिवस के अवसर संत पेत्रुस महागिरजाघर में यूखरिस्तीय बलिदान चढ़ाया।
संत पापा ने कहा, "येसु का समर्पण, पवित्र आत्मा की प्रेरणा से वृद्धों और युवाओं द्वारा नियम पालन करने की खुशी का त्योहार है। यह एक ऐसी मुलाक़ात है जब वचन और वफ़ादारी एक-दूसरे से मिलते हैं।"
संत पापा ने कहा कि संत लूकस के सुसमचार में इस बात को चार बार दुहराया गया है कि माता मरिया और जोसेफ धर्मग्रंथ में लिखे नियमों का पालन करना चाहते थे।
उनकी इच्छा मात्रा भावना नहीं थी पर उनके दिल में एक गहरी अभिलाषा थी कि वे अपन एकलौते पुत्र को ईश्वर को सहर्ष समर्पित करें।"
संत पापा ने सिमेयोन और अन्ना दो धर्मी व्यक्तियों की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने पवित्र आत्मा की प्रेरणा से इन्तज़ार किया, उसकी वाणी पर चिन्तन किया और उसका पालन भी किया।
उन्होंने कहा कि समर्पित जीवन है, ‘येसु से मुलाक़ात’। समर्पित जीवन में येसु हमारे पास आते, पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर उसकी ओर बढ़ते और येसु को अपने जीवन का केन्द्र बनाते हैं।
येसु हमें मंदिर की ओर खींचते हैं, कलीसिया की ओर जहाँ हम उनसे मिलते, उन्हें जानते, स्वागत करते और उनका आलिंगन करते हैं।
संत पापा ने कहा, "नियम और ईशवाणी दोनों साथ-साथ चलते हैं। इसकी पहचान व्यक्ति के आनन्द से होती है। समर्पित व्यक्ति का जीवन है – पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर जीवन के नियमों का पालन, खुले मन से करता, ईश्वर की वाणी को सुनता, जो हमारे मन को खोलता और मार्ग दिखाता है। "
संत पापा ने बुजूर्गों से आग्रह किया कि युवाओं के जीवन में प्रज्ञा हस्तांतरित करें और युवा उनके गहरे अनुभव से लाभ उठायें।








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