वाटिकन सिटी, बुधवार 29 जनवरी 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम आज कलीसिया के सात संस्कारों
पर धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए दृढ़ीकरण संस्कार पर चिन्तन करें।
दृढ़ीकरण
संस्कार बपतिस्मा और यूखरिस्त संस्कार के साथ मिलकर ख्रीस्तीय जीवन के आरंभ करने के संस्कार
को पूर्ण करती है। ख्रीस्तीयों को ये तीनों संस्कार येसु की मृत्यु और पुनरुत्थान के
सहभागी बनाती और कलीसिया तथा येसु के शरीर सक्रिय सदस्य बनाती है।
दृढ़ीकरण संस्कार
में ख्रीस्तीय पवित्र तेल मलन और अभ्यंजन द्वारा पवित्र आत्मा को ग्रहण करता और येसु
के अनुरूप बन जाता अर्थात ‘एक चुना हुआ व्यक्ति’ बन जाता है।
इन संस्कारों के
द्वारा हम भी इस बात के लिये सक्षम हो जाते तथा येसु की मृत्यु और पुनरुत्थान के बारे
में साक्ष्य दने के लिये तत्पर हो जाते हैं। हम अपने विश्वास में प्रौढ़ हो जाते और अपने
कार्यों में प्रत्येक दिन येसु ख्रीस्त का साक्ष्य देते हैं।
पवित्र आत्मा के
सात वरदानों प्रज्ञा, समझदारी, परामर्श, धैर्य, ज्ञान, पवित्रता और येसु के प्रति भय
हमारे जीवन और कार्यों से स्पष्ट झलकने लगती है। आज हम ईश्वर को पवित्र आत्मा के
वरदानों और दृढ़ीकरण संस्कार के लिये धन्यवाद दें और कृपा माँगें कि पवित्र आत्मा के
आनन्द से भर जायें, हमारे जीवन से येसु की उपस्थिति झलके और ज़रूरतमंदों के उदारता दिखलाकर
हम सुसमाचार के आनन्द और शांति का संदेश दूसरों तक पहुँचा सकें।
इतना कह
कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने रापिद शहर के धर्माध्यक्ष
के नेतृत्व में रोम आये तीर्थयात्री दल के का विशेष अभिवादन किया।
उन्होंने
इंगलैंड, वेल्स वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड.
जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा
उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने
की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।