वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 जनवरी 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, रविवार 26 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना के पूर्व उन्हें संबोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, रविवारीय
सुसमाचार पाठ हमें गलीलिया के शहरों एवं गाँवों में येसु के सार्वजनिक जीवन की जानकारी
देता है। उनका मिशन धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक केन्द्र येरूसालेम से न शुरू होकर
एक उपनगरीय क्षेत्र से शुरू होता है। यह क्षेत्र यहूदियों द्वारा तिरस्कृत किन्तु अधिक
उत्साही क्षेत्र था क्योंकि वहाँ बहुत से विदेशी मौजूद थे जिसके कारण नबी इसायस इसे "ग़ैरयहूदियों
की गलीलिया" कहते हैं।(इसा.8: 23)" संत पापा ने गलीलिया की विशेषता बतलाते हुए कहा
कि यह एक सीमा रेखा है, एक पारगमन क्षेत्र, जहाँ हम विभिन्न जाति, संस्कृति एवं धर्म
के लोगों से मिल सकते हैं। गलीलिया एक प्रतीकात्मक स्थल है जहाँ से सभी लोगों ने सुसमाचार
पाया। इस दृष्टिकोण से, गलीलिया आज के विश्व के समान है: जिसमें विभिन्न संस्कृतियों
का सह-अस्तित्व, एक दूसरे के आमने-सामने आने एवं एक दूसरे से मुलाकात करने की आवश्यकता
है। हम प्रतिदिन ग़ैरयहूदियों की गलीलिया में घुसते जा रहे हैं और इस संदर्भ में हम भयभीत
हो सकते हैं तथा अपने आपको अधिक सुरक्षित महसूस करने के लिए, सुरक्षा घेरे को बनाने के
प्रलोभन में पड़ सकते हैं। किन्तु, येसु हमें सिखाते हैं कि जो सुसमाचार वे लाये हैं
वह एक क्षेत्र विशेष के लोगों के लिए नहीं है। वह सभी को बताया जाना है। वह उन सभी के
लिए शुभसमाचार है जो उनकी प्रतीक्षा करते हैं बल्कि, उनके लिए भी है जो शायद किसी चीज़
की अपेक्षा नहीं रखते और जिनमें देखने एवं पूछ पाने की शक्ति भी नहीं है। येसु गलीलिया
में सुसमाचार का प्रचार शुरू करते हुए बतलाते हैं कि ईश्वर की मुक्ति से कोई भी बहिष्कृत
नहीं हैं। अतः इसे स्पष्ट है कि ईश्वर उपनगरों से आरम्भ करना चाहते हैं एक छोटे गाँव
से, ताकि सब तक पहुँच सकें। यह उनके तौर तरीके को सिर्फ प्रस्तुत नहीं करता वरण विधि
के अंदर निहित वास्विकता को प्रस्तुत करता है उदाहरण के लिए पिता की करूणा। संत पापा
ने कहा, "सभी ख्रीस्तीय एवं सभी समुदाय निश्चित करें कि वह कौन सा रास्ता है जिसपर चलने
की माँग प्रभु हम से करते हैं। हम सभी इस बुलावे को स्वीकार करने के लिए निमंत्रित है।
संत पापा ने प्रश्न किया, "बुलावा क्या है? बुलावा है आराम का परित्याग तथा उन उपनगरों
एवं गाँवों में जाने की ज़रूरत जिन्हें सुसमाचार के प्रकाश की आवश्यकता है।"(एन्जेली
गौदियुम 20) येसु अपने मिशन की शुरूआत विकेन्द्रीकृत जगह से नहीं करते किन्तु उन
व्यक्तियों से भी करते हैं जिन्हें कमजोर प्रोफाइल या कम प्रभावी समझा जाता है। अपने
भावी एवं प्रथम चेलों का चयन करने के लिए येसु ने शास्त्रियों एवं फरीसियों को, स्कूल
जाकर संबोधित नहीं किया किन्तु साधारण एवं आम आदमियों को चुना जो कड़ी मेहनत करते हैं,
ईश्वर के राज्य के आगमन के लिए काम करने हेतु येसु ने झील के किनारे मछली मार रहे लोगों
को चुना। प्रभु ने उन्हें बुलाया और उन्होंने तुरन्त उनका अनुसरण किया। वे अपनी जालों
को छोड़ कर उनके पीछे हो लिये और उनका जीवन असाधारण, आकर्षक एवं साहसिक हो गया। संत
पापा ने कहा, "प्रिय मित्रो, प्रभु आज हमें बुला रहे हैं। येसु हमारे दैनिक जीवन की गलियों
से होकर गुजर रहे हैं। आज भी, अभी इस समय भी, यहाँ इस प्राँगण से होकर प्रभु गुजर रहे
हैं। हमें अपने साथ आने का निमंत्रण दे रहे हैं। हमारे युग के गलीलिया में ईश्वर के राज्य
के लिए काम करने हेतु अपने साथ आने का आग्रह कर रहे हैं। आप में से प्रत्येक व्यक्ति
इस पर विचार करें। येसु आज पार हो रहे हैं वे मुझे निहार रहे हैं। आप में से कोई यदि
यह अनुभव करते हैं कि प्रभु बुला रहे हैं तो आप साहसी बनें और प्रभु के साथ आगे बढ़ें।
प्रभु कभी निराश नहीं करते। अपने हृदय को झाँककर देखे यदि प्रभु अनुसरण करने के लिए बुला
रहे हैं। उनकी दृष्टि एवं उनकी आवाज को अपने पर पड़ने दें एवं उनका अनुसरण करें क्योंकि
सुसमाचार का आनन्द पृथ्वी के अंतिम छोर तक पहुँचती है तथा छोटे से छोटा शहर भी इसके प्रकाश
से वंचित नहीं हो सकती।( 288)" इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने भक्त समुदाय के
साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पश्चात उन्होंने कहा, "जैसे कि
आप देख सकते हैं मैं अकेला नहीं हूँ मेरे साथ दो साथी हैं जो मेरे पास आये हैं। ये अच्छे
हैं। आज हम विश्व कोढ़ दिवस मना रहे हैं। यद्यपि यह बीमारी खत्म होने की स्थिति
पर है किन्तु दुर्भाग्य से, अत्यन्त गरीबी के कारण कई लोग अभी भी इससे पीड़ित हैं। उन
भाई बहनों के साथ समन्वय की भावना को जीवित रखना महत्वपूर्ण है। वे हमें अपनी प्रार्थनाओं
का आश्वसन देते हैं और हम उनके लिए भी प्रार्थना करते हैं जो उनकी देखभाल करते हैं तथा
विभिन्न तरह से इस बीमारी के निराकरण के प्रयास में लगे हैं। मैं यूक्रेन के नागरिकों
को आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता हूँ विशेषकर, जिन्होंने इन दिनों अपनी जान गवाँई है
तथा परिवार वालों को खोया है। मैं आशा करता हूँ कि इसके द्वारा सरकार एवं आम लोगों के
बीच वार्ता का विकास होगा तथा सभी हिंसक हथियारों का परित्याग कर सभी के दिल में शांति
एवं सार्वजनिक भलाई की भावना विजयी होगी। आज सड़कों पर बहुत से बच्चे हैं मैं उन
में से एक तीन वर्षीय कोको कामपोलोंगो की विशेष याद करता हूँ जो इयोनियन सी के कसानो
में कार में जला दिया गया। इस प्रकार के अपराध का इतिहास में कोई उदाहरण नहीं है। हम
कोको जो स्वर्ग में येसु के साथ सुरक्षित है के साथ उन अपराधियों के मन परिवर्तन के लिए
प्रार्थना करें ताकि वे प्रभु की ओर लौट आयें। फिर संत पापा ने चीन, कोरिया एवं वियतनाम
वासियों को सम्बोधित कर लूनार नव वर्ष की शुभ कामनाएँ अर्पित कीं। उन्होंने नेपल्स
में घोषित सावोइया की धन्य मरिया क्रिस्टीना के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया। जिनका जीवन
उनीसवीं सदी के पूवार्द्ध में बीता। वे गहन आध्यात्मिकता एवं दीनता की भावना से भरी थीं।
उन्होंने लोगों की पीड़ा को समझा तथा निर्धनों की सच्ची माता बनी। उदारता से भरा उनका
जीवन इस बात क साक्षी है कि हर क्षेत्र एवं हर सामाजिक परिस्थिति में सुसमाचार के अनुकूल
जीवन यापन करना समभव है। इतना कहने क बाद संत पापा ने देश विदेश से आये सभी तीर्थयात्रियों
एवं पयर्टकों का अभिवादन किया तथा शुभरविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित कीं।