2014-01-27 13:24:52

नम्रतापूर्ण धैर्य की ज़रूरत है पूर्ण एकता के लिये


वाटिकन सिटी, सोमवमार 27 जनवरी, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 25 जनवरी को रोम स्थित ‘सेंट पौल आउट साउड द वॉल’ महागिरजाघर में आयोजित अन्तरकलीसियाई एकता सान्ध्य प्रार्थना में कहा, "अन्तरकलीसियाई एकता एक यात्रा है जिसमें अध्यवसाय की ज़रूरत होती है।"
परंपरागत ख्रीस्तीय एकता अठवारा के समापन की पूर्व संध्या को रोम के सेंट पौल महागिरजाघर में सांध्य प्रार्थना में उपस्थित ख्रीस्तीयों को अपना संदेश देते हुए संत पापा ने कहा कि येसु का विभाजन नहीं हो सकता है।"
उन्होंने कहा, "विश्वास हमें इस बात के लिये जागरुक और प्रेरित करे कि हम पूरी नम्रता के साथ अध्यवसायी बने और भरोसे के साथ उस मार्ग पर चलें जो येसु में विश्वास करने वालों को पूर्ण व प्रत्यक्ष एकता प्राप्त करने में मदद दे।"
संत पापा ने कहा, " हम पूरी कृतज्ञता के भाव से ख्रीस्तीय एकता की प्रगति को देखें साथ ही अन्तरकलीसियाई वार्ता के मार्ग की चुनौतियों का बिना नज़रअंदाज़ किये ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि हम उस एकता को प्राप्त कर सकें जिसकी इच्छा येसु ने व्यक्त की थी।"
संत पापा ने कहा कि पूर्व के दो संत पापाओं धन्य जोन तेइसवें और धन्य जोन पौल द्वितीय ने इस बात का गहराई से अनुभव किया था कि ख्रीस्तीय एकता निहायत ज़रूरी है और इसी लिये उन्होंने काथलिक कलीसिय को अन्तरकलीसियाई एकता के पथ पर अग्रसर किया। संत पापा पौल षष्टम वार्ता के प्रबल समर्थक रहे थे और उन्होंने सन् 1964 में ईस्वी में ऑर्थोडॉक्स कलीसिया और काथलिक कलीसिया द्वारा एक-दूसरे के प्रति सदियों पुरानी प्रतिबंध को हटा दिया। इस तरह से अन्तकलीसियाई वार्ता आज कलीसिया का अभिन्न अंग बन गया है।
संत पापा ने कहा, "येसु एक हैं। येसु ही हमारी एकता के सिद्धांत, ताकत और मूल प्रेरणा हैं। हमारी अनेकता येसु के शरीर को पीड़ा पहुँचती है और विश्व के लिये ख्रीस्तीय साक्ष्य के मार्ग में बाधा बनती है।"
संत पापा ने प्रार्थना की कि येसु, जिसने हमें अपने शरीर का जीवित अंग बनाया है हमें एकता प्रदान करे, समस्याओं को दूर करने में हमारी मदद करे, हमारी अनेकता दूर करे तथा पवित्र आत्मा से मिलने वाले अपार प्रेम से हम सबको एक कर दे।












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