2014-01-20 07:26:09

प्रेरक मोतीः सन्त फेबियन (निधन 250 ई.)


वाटिकन सिटी, 20 जनवरी सन् 2014

सन्त फेबियन के निधन के कुछ ही वर्षों बाद जन्में यूसेबियुस बताते हैं कि किस तरह फेबियन सन् 236 ई. में सन्त पापा आन्तेरोस के निधन के उपरान्त रोम आये थे। फेबियन एक लोक धर्मी ख्रीस्तानुयायी थे तथा यूसेबियुस के अनुसार अन्य ख्रीस्तीयों की तरह वे भी नये सन्त पापा की चुनाव प्रक्रिया से रुबरू होने के लिये ठीक उसी समय रोम आये थे।

उस युग में कलीसिया की परमाध्यक्षीय चुनाव प्रक्रिया में सभी ख्रीस्तानुयायी हिस्सा ले सकते थे। रोम आकर फेबियन ने ख्रीस्तीय धर्म के बहुत से गणमान्य लोगों को देखा। लोग आपस में बातें कर रहे थे कि इनमें से कौन काथलिक कलीसिया के भावी परमाध्यक्ष होंगे। ऐसा व्यक्ति जो अच्छा वक्ताहै? या फिर ऐसा व्यक्ति जो ईशशास्त्र में सिद्धहस्त है? या फिर ऐसा व्यक्ति जो प्रशासन कला में माहिर है? यूसेबियुस के अनुसार वाद-विवाद एवं लोगों की बातचीत के बीच अचानक ऊपर छत से एक कपोत नीचे आया। आश्चर्य तो यह कि कपोत किसी धर्माधिकारी पर नहीं अपितु फेबियन के सिर पर अवतरित हुआ। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार पेन्तेकोस्त के अवसर पर येसु के प्रेरितों पर पवित्रआत्मा अवतरित हुए थे।

यूसेबियुस कहते हैं कि अवश्य ही उस क्षण वहाँ पवित्रआत्मा क्रियाशील थे क्योंकि सभी उपस्थित लोगों ने एक स्वर से फेबियन को परमाध्यक्ष पद पर आसीन होने के लिये योग्य ठहराया और इस तरह अजनबी फेबियन काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये।

हमारे लिये कपोत शांति का प्रतीक है और यह कपोत नबूवती था। फेबियन की नियुक्ति के बाद से ही आरम्भ से अत्याचार सहती कलीसिया में शांति की लहर दौड़ी। तत्कालीन सम्राट फिलिप ख्रीस्तीयों के मित्र थे इसलिये ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न समाप्त हुआ तथा उन्होंने स्वीकृति एवं स्वागत का अनुभव किया।

कलीसियाई शांति के इस युग में सन्त पापा फेबियन ने रोमी कलीसिया की संरचना को आकार दिया। उन्होंने सात उपयाजकों को नियुक्त कर उन्हें शहीदों के कार्यों को एकत्र करने का काम सौंपा। फेबियन द्वारा नियुक्त नये याजकों एवं दूतों को सत्ता में रहनेवालों के विरोध का सामना करना पड़ा और इसके साथ ही ग़ैरविश्वासियों ने कलीसिया पर आक्रमण शुरु कर दिया। इस बीच, सम्राट फिलिप का भी निधन हो गया जिसके साथ ही कलीसिया को शांतियुग का अन्त हो गया। ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर फिर दमन चक्र शुरु हो गया और इसी दौरान शांति के प्रतीक माने जानेवाले फेबियन को विश्वास के लिये अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। सन् 250 ई. में उन्होंने शहादत प्राप्त की। उन्हें कलिस्तुस के कब्रस्तान में दफ़ना दिया गया जहाँ आज भी एक शिलाखण्ड पर उनका नाम खुदा हुआ है। सन्त फेबियन का पर्व 20 जनवरी को मनाया जाता है।


चिन्तनः शहीद सन्त फेबियन के पद चिन्हों पर चल हम उन सब लोगों के लिये प्रभु से आर्त याचना करें जो अपने धर्म और विश्वास के कारण सताये जाते हैं, जो प्रतिदिन अलगाव, मृत्यु एवं ख़तरों का सामना करते हैं। सन्त फेबियन की मध्यस्थता से सभी उत्पीड़ित प्रभु ईश्वर के प्रेम का अनुभव करें।"








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