वाटिकन सिटी, बुधवार 15 जनवरी 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने
इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम काथलिक कलीसिया
के प्रेरितों के धर्मसार संबंधी धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए ‘बपतिस्मा संस्कार’
पर चिन्तन करना जारी रखें।
आज हम इस बात पर चिन्तन करें कि बपतिस्मा संस्कार
द्वारा हम कैसे येसु के रहस्यमय शरीर और कलीसिया के अंग बन जाते हैं?
प्रत्येक
पीढ़ी के ख्रीस्तीय बपतिस्मा संस्कार द्वारा नया जन्म लेते, कृपामय जीवन में सहभागी होते
और सुसमाचार का साक्ष्य देने की बुलाहट स्वीकार करते हैं।
बपतिस्मा हमें कलीसिया
का ‘मिशनरी शिष्य’ बनाता है। इसलिये जल से नया जन्म लेने और पवित्र आत्मा के साथ हमारा
गहरा संबंध है।
हमारा दायित्व है कि हम कलीसिया, परिवार तथा पल्लियों में बपतिस्मा
की कृपाओं से पूर्ण होकर नया जीवन जीयें और सुसमाचार का प्रचार करते हुए लोगों के लिये
ईश्वरीय कृपा पाने का माध्यम बनें।
हम जापान की कलीसिया के इतिहास पर ग़ौर कर
सकते हैं जहाँ मिशनरियों के चले जाने के बाद ईसाइयों की एक छोटी समुदाय बची थी जो दो
सदियों तक बपतिस्मा की कृपा से जीवित रही। आज जापान का उदाहरण हमें प्रेरित करे ताकि
हम बपतिस्मा के रहस्य, सामुदायिक और मिशनरी पक्ष को समझ सकें और बपतिस्मा के मिशन को
दूसरों को बाँट सकें।
इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने इंगलैंड, वेल्स वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व,
स्कॉटलैंड. जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित
लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का
साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।