2014-01-13 17:02:02

शिशु आनन्द एवं आशा का एक उपहार


वाटिकन सिटी, सोमवार 13 जनवरी 2014 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, रविवार 12 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना से पूर्व उन्होंने विश्वासियों को संबोधित कर कहा,
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
आज प्रभु के बपतिस्मा का महापर्व है और मैंने 32 बच्चों को बपतिस्मा संस्कार दिया है।
मैं आप सभी के साथ इनके तथा सभी नवजात शिशुओं के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ। मैं बच्चों को बपतिस्मा संस्कार देना पसंद करता हूँ। हर नवजात शिशु आनन्द एवं आशा का एक उपहार है। शिशु जिसने बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किया है वह ख्रीस्तीय परिवार में विश्वास का चमत्कार है।”
आज का सुसमाचार विशेष याद दिलाता है कि जब येसु ने यर्दन नदी में योहन बपतिस्ता से बपतिस्मा ग्रहण किया। स्वर्ग उसके लिए खुल गया।(मती.3:16) तथा यह भविष्यवाणी सुनाई पड़ी। वास्तव में, धर्मविधि में एक प्रार्थना है जिसे हम आगमन काल में दुहराते हैं।“ ओह! यदि तू आकाश फाड़ कर उतरे! तेरे आगमन पर पर्वत काँप उठें!” (इसा. 63,19)
संत पापा ने कहा, “ यदि आकाश बन्द हो तो पृथ्वी पर हमारा जीवन अंधकारमय है। इसके विपरीत, ख्रीस्त जयन्ती द्वारा विश्वास ने हमें एक निश्चितता प्रदान की है कि येसु ने बपतिस्मा ग्रहण कर स्वर्ग का द्वार खोल दिया है। बपतिस्मा पृथ्वी पर ईश पुत्र की प्रकाशना की याद दिलाती है, उनके महान दया की याद। पाप ने मानव जाति एवं सृष्टिकर्ता के बीच एक दीवार खड़ा कर स्वर्ग का द्वार बंद कर दिया था।” येसु के जन्म से स्वर्ग का वह बंद द्वार खुल गया। ईश्वर ने हमें ख्रीस्त को प्रदान किया हैं जो एक अमर प्यार की गरांटी है। शब्द ने शरीर धारण किया अत: स्वर्ग को खुला देखना संभव हो गया। बेतलेहेम के गड़ेरियों, पूर्व के ज्ञानियों, योहन बपतिस्ता, येसु के शिष्यों एवं प्रथम शहीद स्तेफन को जिसने घोषणा की- मैं स्वर्ग को खुला देख रहा हूँ। इस सभी ने स्वर्ग को खुला देखा।(प्र.च. 7: 56) यह हम सभी के लिए संभव है। ईश्वर का प्यार हमें बपतिस्मा में पहली बार पवित्र आत्मा द्वारा प्राप्त हुआ है हमें ईश्वर के प्यार ने जीत लिया है।"
संत पापा ने कहा कि हम ईश्वर के प्यार को विजयी होने दें। यह दया का महान अवसर है। इसे हम कभी न भूलें। येसु ने योहन बपतिस्ता से पश्चताप का बपतिस्मा ग्रहण किया। उन्होंने पश्चताप करने वाले लोगों के साथ एक रूपता दिखाने के लिए, बिना किसा पाप एवं पश्चताप की आवश्यकता के बगैर बपतिस्मा ग्रहण किया। तब उन्हें स्वर्ग से पिता ईश्वर की आवाज सुनाई पड़ी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है इसपर मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।” (पद.17) इस आवाज में येसु ने पिता ईश्वर से स्वीकृति प्राप्त किया। जिन्होंने उन्हें हमारी दैनीय परिस्थिति को अपने उपर लेने के लिए भेजा है।
संत पापा ने कहा, “बांटना एक सच्चा प्यार है। येसु हमसे अलग नहीं हैं, बल्कि हमें अपने भाई-बहन मानते और हमारे साथ रहते हैं। अत: वे हमें अपने साथ पिता ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ बनाते हैं। यही सच्चे प्यार के स्रोत की प्रकाशना है।”
संत पापा ने प्रश्न किया क्या हमें भ्रातृत्व एवं प्यार को बांटने वाले की आवश्यकता है। क्या हमें उदारता के पूरक की आवश्यकता है। सिर्फ आनन्द का सहभागी नहीं है किन्तु वह जो उदारतापूर्वक बांटता है, असह्य एवं दुखी भाई-बहनों की मदद करता है। जब हम ईश्वर के प्यार के रंग में रंगते हैं तो हमारा जीवन भी बांटने के गुण से भर जाता है।
संत पापा ने धन्य कुवाँरी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि बपतिस्मा संस्कार द्वारा प्राप्त विश्वास एवं उदारता के मार्ग पर, ख्रीस्त का अनुसरण करने में वे हमारी सहायता करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने सभी पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।
संत पापा ने कहा आज मैं विशेष रूप से उन माता पिताओं की याद करता हूँ जिन्होंने अपने बच्चों को बपतिस्मा संस्कार दिलवाया है और जो अपने बच्चों को बपतिस्मा संस्कार के लिए तैयार कर रहे हैं। मैं इन परिवारों के आनन्द में हिस्सा लेता हूँ। मैं उनके साथ मिलकर ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ। मैं बपतिस्मा प्राप्त बच्चों, उनके मातापिताओं एवं धर्ममाता-पिताओं के लिए प्रार्थना करता हूँ जिससे कि वे विश्वास की सुन्दरता को नवीन रूप में पुन: प्राप्त कर सकें एवं संस्कारों के ग्रहण कर समुदाय में लौट सकें।
अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएं अर्पित की।








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