2014-01-10 10:42:21

प्रेरक मोतीः धन्य सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें (1210-1276 ई.)


वाटिकन सिटी, 10 जनवरी सन् 2014

सन् 1271 ई. से लेकर सन् 1276 ई. तक, ग्रेगोरी दसवें काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष थे। सन् 1271 ई. में सन्त पापा नियुक्त होने से पूर्व उनका नाम थेओवाल्द विस्कोन्ती था। थेओवाल्द विस्कोन्ती का जन्म, सन् 1210 ई. में, इटली के पियाचेन्सा नगर में हुआ था। काथलिक परिवार में जन्में थेओवाल्द, युवास्था के समय ही अपने सदगुणों एवं अध्ययनशीलता के कारण विख्यात हो गये थे। पुरोहिताभिषेक के बाद थेओवाल्द ने कलीसियाई विधान में स्नातकोत्तर की डिगरी प्राप्त की तथा इसके उपरान्त फिलिस्तीन में प्रेरिताई के लिये प्रेषित कर दिये गये। उस समय पवित्र भूमि के ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न का काल था। उसी समय इंगलैण्ड के राजा एडवर्ड भी फिलीस्तीन में ही क्रूसयुद्ध लड़ रहे थे।

सन्त पापा क्लेमेन्त चतुर्थ के निधन के बाद तीन वर्षों तक काथलिक कलीसिया की परमाध्यक्षीय पीठ खाली रही जिसके उपरान्त रोम शहर के उपनगर वितेरबो में कार्डिनलमण्डल के सदस्य एकत्र हुए तथा उन्होंने थेओवाल्द अर्थात् ग्रेगोरी दसवें का चुनाव किया। सन्त पापा के चुनाव के लिये तीन साल तक चली कार्डिनल मण्डलीय सभा काथलिक कलीसिया के इतिहास में सबसे लम्बी चुनाव सभा थी। सन् 1271 ई. में इटली के थेओवाल्द विस्कोन्ती को परमाध्यक्ष नियुक्त किया गया जो सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें हुए तथा सन् 1276 ई. में अपनी मृत्यु तक काथलिक कलीसिया के शीर्ष बने रहे।

फिलीस्तीन के ख्रीस्तीयों को उत्पीड़न से बचाने के लिये सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें ने फ्राँस के लियों शहर में एक विश्व परिषद बुलाई थी जिसमें सन्त अलबर्ट महान तथा सन्त फिलिप बेनीजी भी उपस्थित थे। सन्त थॉमस अक्वाईनुस भी इस परिषद में आनेवाले थे किन्तु रास्ते में ही उनका देहान्त हो गया था। परिषद की चौथी बैठक में पूर्व के सम्राट तथा कुलपति की ओर से पधारे राजदूतों ने कलीसिया के अधिकारों को मान्यता दी तथा बिज़ेनटाईन पूजनपद्धति की एकता को स्वीकार कर लिया। बताया जाता है कि इस सफलता के लिये जब धन्यवाद की धर्मविधि सम्पन्न की जा रही थी तब सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें आनन्द के मारे रो पड़े थे। सन्त पापा ग्रेगोरी ने परिषद में स्वीकृत सभी प्रस्तावों को कार्यरूप दिया तथा पूर्व के देशों में कलीसिया को उसके अधिकार दिलवाने में अहं भूमिका निभाई। कर्मठ एवं परिश्रमी सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें जब आल्प्स की पहाड़ियों पर लम्बी लम्बी यात्राओं के बाद थककर रोम लौट रहे थे तब, 10 जनवरी सन् 1276 ई. को, आरेज्जो में उनका देहान्त हो गया था। सन्त पापा बेनेडिक्ट 14 वें ने रोमी शहादतनामे में सन्त पापा ग्रेगोरी का नाम दर्ज़ कर उन्हें सम्मानित किया है। आरेज्जो के काथलिक महामन्दिर में आज भी सन्त पापा ग्रेगोरी दशम की समाधि है। धन्य सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें का पर्व 10 जनवरी को मनाया जाता है।


चिन्तनः "पुत्र! यदि तुम मेरे शब्दों पर ध्यान दोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, प्रज्ञा की बातें कान लगा कर सुनोगे और सत्य में मन लगाओगे; यदि तुम विवेक की शरण लोगे और सदबुद्धि के लिए प्रार्थना करोगे; यदि तुम उसे चाँदी की तरह ढूँढ़ते रहोगे और खजाना खोजने वाले की तरह उसके लिए खुदाई करोगे, तो तुम प्रभु-भक्ति का मर्म समझोगे और तुम्हें ईश्वर का ज्ञान प्राप्त होगा; क्योंकि प्रभु ही प्रज्ञा प्रदान करता और ज्ञान तथा विवेक की शिक्षा देता है" (सूक्ति ग्रन्थ 2: 1-6)।












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