वाटिकन सिटी, बुधवार 8 जनवरी 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व के
कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने
इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम काथलिक कलीसिया
के प्रेरितों के धर्मसार संबंधी धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए ‘बपतिस्मा संस्कार’
पर चिन्तन करें।
द्वितीय वाटिकन महासभा ने हमें बतलाती है कि कलीसिया ही एक संस्कार
है जो कृपाओं से पूर्ण एक ऐसा चिह्न है जो येसु के मुक्तिदायी कार्यों को पवित्र आत्मा
द्वारा मानव इतिहास में प्रकट करती है।
काथलिक कलीसिया के सात संस्कारों में
प्रथम संस्कार है - बपतिस्मा जो हमें इस बात को बतलाती है कि ख्रीस्तीय येसु में एक नया
जन्म लेते, येसु के दुःखभोग मरण और पुनरुत्थान में सहाभागी होकर पापों की क्षमा प्राप्त
करते, जो हमें नयी स्वतंत्रता देता और ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ और कलीसिया का अभिन्न
अंग बनाता है।
हम इस बात को कदापि न भूलें कि बपतिस्मा में हमने एक मूल्यवान
वरदान पाया है। बपतिस्मा ने हमें बदल दिया है और हमें एक नयी आशा प्रदान की है ताकि हम
उसकी शक्ति से ईश्वर के मुक्तिदायी प्रेम को दुनिया को बाँट सकें विशेष करके गरीबों और
ज़रूरतमंदों को जिनमें हम येसु के प्रतिरूप को देख सकते हैं।
हमारा बपतिस्मा
हमें एक शिष्य और मिशनरी रूप में सुसमाचार प्रचार करने की भी ज़िम्मेदारी हमें प्रदान
की है। हम अगले सप्ताह येसु के बपतिस्मा का त्योहार मनायेंगे । आइये हमें ईश्वर से
कृपा की याचना करें ताकि वे हमें बपतिस्मा की कृपाओं से भर दें और हम अपने भाइयों एवं
बहनों के साथ मिल कर ईश्वर की सच्ची संतान और कलीसिया के जीवित सदस्य बन सकें।
इतना
कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने इंगलैंड, वेल्स वियेतनाम,
डेनमार्क, नीदरलैंड आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,
अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को
विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।