पटना, सोमवार 6 जनवरी, 2013 (उकान) बिहार राज्य के मुस्लिम मौलवियों ने इस बात की घोषणा
की है कि वे ऐसी शादियों का निकाह नहीं करेंगे जो दहेज लेन-देन पर आधारित हो। दहेज
की समस्या से पीड़ित मुस्लिम समाज को देखते हुए बिहार के नालंदा जिले के कुछ मौलवियों
ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए कहा कि वे वे पूरे नालंदा जिले में उनके लिये निकाह नहीं
करेंगे जो दहेज लेन-देन करते हैं। उक्त बात की जानकारी देते हुए नालंदा के मुस्लिम
संगठन इमारत-ए-शारिया के अध्यक्ष काज़ी मौलाना मन्सुन आलम ने कहा कि उनका निर्णय ऐतिहासिक
है क्योंकि वे चाहते हैं कि मुस्लिम समुदाय में दहेज की बुराइयों के प्रति जागरुक हो
। मौलवी आलम ने कहा कि नालंदा जिले में दहेज लेने-देनेवालों का निकाह नहीं करने को
पूर्णतः लागू करने के बाद इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जायेगा। आम तौर पर मुस्लिम
समुदाय ने इस निर्णय का स्वागत किया है। एक रेलवे सेवानिवृत्त अधिकारी और अब स्वयंसेवक
बने हाज़ी शफीउल्लाह ख़ान ने कहा कि कम-से-कम किसी ने दहेज की बुराई के विरुद्ध में आवाज़
तो उठायी है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में दहेज की प्रथा है ही नहीं। शादी के
समय नववधु के हाथों में वर कुछ पैसे देता है जिसे ‘महर’ कहा जाता है। इसका प्रतीकात्मक
अर्थ है कि वह अपनी पत्नी के जीवन की पूर्ण ज़िम्मेदारी उठायेगा। उन्होंने कहा कि
दहेज अब हिन्दुओं तक सीमित नहीं रह गया है यह पूरे मानव समाज की चुनौती बन गया है, विशेष
करके इसने दलित मुस्लिम समाज को बुरी तरह प्रभावित किया है।