2014-01-01 12:44:19

वाटिकन सिटीः सन्त पापा फ्राँसिस ने नववर्ष पर शक्ति, साहस एवं आशा का दिया सन्देश


वाटिकन सिटी, 01 जनवरी सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने नववर्ष के उपलक्ष्य में जारी अपने सन्देशों में शक्ति, साहस एवं आशा पर बल दिया।
नववर्ष 2014 का शुभारम्भ करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने, वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों एवं सार्वभौमिक कलीसिया के जीवन में माँ मरियम की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण दिलाया।
प्रवचन शुरु करते हुए उन्होंने ईश प्रजा पर प्रभु की अनुकम्पा का स्मरण दिलाते हुए कहाः "आज के लिये निर्धारित, प्रथम पाठ में हम आशीर्वाद की उस प्राचीन प्रार्थना को पाते हैं जिसे प्रभु ईश्वर ने नबी मूसा के द्वारा हारूण एवं उनके पुत्रों को प्रदान किया था, " प्रभु तुम लोगों को आशीर्वाद प्रदान करे और सुरक्षित रखे। प्रभु तुम लोगों पर प्रसन्न हो और तुम पर दया करे। प्रभु तुम लोगों पर दयादृष्टि करे और तुम्हें शान्ति प्रदान करे।"
सन्त पापा ने कहा कि इन आशीष भरे शब्दों को सुनने के लिये नववर्ष के आरम्भ से अधिक और कोई अर्थपूर्ण समय नहीं हो सकता। उन्होंने कहा प्रभु की यह आशीष हमारे समक्ष प्रस्तुत नये साल के हर दिन हमारे साथ रहेगी।
मां मरियम के अद्भुत मातृत्व, मानवजाति के प्रति उनकी ममता तथा कलीसिया के जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहाः "मरियम सदैव हमारे हृदयों में, हमारी धर्मपरायणता तथा सबसे पहले विश्वास के साथ सम्पादित ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की तीर्थयात्राओं में उपस्थित रहीं हैं।"
कलीसिया के विश्वपत्र "रिदेम्तोरिस मात्तेर" को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहाः "कलीसिया समय के अन्तराल में अपनी तीर्थयात्रा में आगे बढ़ती रहती है तथा इस यात्रा में वह उस मार्ग पर चलती है जिससे होकर कुँवारी मरियम गुज़री हैं।" विश्वास की हमारी तीर्थयात्रा मरियम की तीर्थयात्रा के ही समान है और इसीलिये हम अपने आप को उनके बिल्कुल समीप महसूस करते हैं। जहाँ तक ख्रीस्तीय जीवन को सुरक्षित रखनेवाले विश्वास का प्रश्न है ईश माता मरियम हमारी स्थिति में भागीदार हैं। उन्हें उसी मार्ग से होकर गुज़रना पड़ा जिसपर हम चलते हैं तथा जो कभी कभी मुश्किल एवं अन्धकारमय होता है। उन्हें विश्वास की तीर्थयात्रा में निरन्तर आगे बढ़ते रहना पड़ा" (लूमेन जेनसियुम, 58)।
सन्त पापा ने कहाः "हमारी तीर्थयात्रा उसी क्षण, अविभाज्य रूप से, मरियम के साथ जुड़ गई थी जब क्रूस पर मरते हुए येसु ने यह कहते हुए मरियम को हमें प्रदान किया थाः "यह तुम्हारी माता है"। उन्होंने कहा कि सन्त योहन रचित सुसमाचार के ये शब्द येसु का वसीयतनामा है जिनके द्वारा उन्होंने अपनी माँ को विश्व की माता रूप में अर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि इसीलिये मरियम हमारी आशा एवं यथार्थ आनन्द का स्रोत बन जाती हैं।








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