2014-01-01 12:48:06

वाटिकन सिटीः बेघर एवं शरणार्थियों के लिये सन्त पापा ने की अपील


वाटिकन सिटी, 01 जनवरी सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने मंगलवार, 31 दिसम्बर को सन् 2013 की समाप्ति पर, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में धन्यवाद ज्ञापन की धर्मविधि का नेतृत्व किया तथा इस अवसर पर बेघर लोगों, शरणार्थियों एवं ज़रूरतमन्दों के पक्ष में अपील जारी की।
"ते देऊम" यानि धन्यवाद ज्ञापन की प्रार्थना के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने रोम के नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने शहर की सुन्दरता को उन्हें बड़ी संख्या में अपने बीच जीवन यापन करनेवाले बेघर लोगों, शरणार्थियों एवं बेरोज़गारों के प्रति अन्धा न होने दें।
सन्त पापा ने कहाः "रोम पर्यटकों से परिपूर्ण है किन्तु यह शरणार्थियों से भी भरा है।"
उन्होंने रोम के लोगों से अपील की कि वे रोम को सिर्फ एक सुन्दर तस्वीर या पोस्टकार्ड के सदृश न देखें अपितु उन अनेक लोगों के प्रति अपनी आँखों को खोलें जो बेरोज़गार हैं, कम आमदनी लेने के लिये मजबूर हैं तथा भौतिक एवं नैतिक निर्धनता के कारण पीड़ित हैं।
वाटिकन तथा काथलिक कलीसिया में सरल जीवन शैली की प्रस्तावना करनेवाले सन्त पापा फ्राँसिस को आर्जेनटीना के बोयनुस आयरस में "झुग्गी झोपड़ी के धर्माध्यक्ष" नाम से जाना जाता था जो महानगर की निर्धन बस्तियों का दौरा किया करते थे।
निर्धनों, बेघर व्यक्तियों, आप्रवासियों एवं शरणार्थी लोगों की सहायता करनेवाले इताली काथलिक लोकोपकारी संगठन "सान्त इजिदियो" के अनुसार हाल के वर्षों में रोम में बेघर लोगों की संख्या में दस प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस समय कम से कम 8,000 व्यक्ति बेघर हैं।
शरणार्थियों सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र संघीय उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार 2013 के प्रथम छ माहों में 7,800 आप्रवासी एवं शरण चाहनेवाले इटली पहुँचे हैं। इनमें अधिकांश सिरिया के युद्ध से पलायन करनेवाले लोग हैं।
इनके अतिरिक्त, रोम में कई ऐसे जरूरतमंद लोग हैं जिनके सिर पर एक छत तो है किन्तु बेरोज़गारी एवं आर्थिक संकट के कारण ये लोग, प्रति दिन के भोजन के लिये, सामाजिक सेवाओं एवं भोजन प्रदान करनेवाले लोकोपकारी संगठनों के सूप किचन की सरण जाने के लिये मजबूर हैं।
दिसम्बर माह के आरम्भ में, देश के, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार इटली की एक तिहाई जनता पर निर्धनता एवं सामाजिक बहिष्कार का ख़तरा बना हुआ है। लगभग 21 प्रतिशत जनता आर्थिक संकट की वजह से शीत ऋतु में अपने घरों को गर्म करने में असमर्थ हैं।








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