नई दिल्लीः धार्मिक नेताओं ने समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
नई दिल्ली, 30 दिसम्बर सन् 2013 (ऊका समाचार): भारत के विभिन्न धार्मिक समूहों के नेताओं
ने, भारत की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध घोषित किये जाने
के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि फ़ैसला पूर्वी परम्पराओं, भारत के नैतिक मूल्यों
तथा धार्मिक शिक्षाओं के साथ मेल खाता है। रविवार को नई दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन
में हिन्दु, मुसलमान, सिक्ख एवं ख्रीस्तीय धर्मों के प्रतिनिधि एकत्र हुए थे। 11
दिसंबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को एक अपराध घोषित कर दिया था। जमात-ए-इस्लामी
हिंद, मुसलमान समूह के एक वकतव्य में कहा गया, "अनुच्छेद 377 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
केवल इस देश के पूर्वी परंपराओं, नैतिक मूल्यों और धार्मिक शिक्षाओं से ही मेल नहीं खाता
बल्कि यह पश्चिमी संस्कृति तथा वहाँ की पारिवारिक प्रणाली एवं सामाजिक जीवन के विघटन
पर आशंकाओं को भी दूर करता है।" वकतव्य पर जमात-ए-इस्लामी हिंद के अतिरिक्त जाठेदार
अकाल तख्त, अहिंसा विश्व धर्म और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर
किये। वकतव्य में यह भी कहा गया कि, "देश के संविधान ने सही मायनों में समलैंगिकता
को एक दंडनीय अपराध बताया है। यह इसलिये क्योंकि समलैंगिकता मानव विकास और मानव जाति
की प्रगति को ही नहीं रोकता है बल्कि यह परिवार प्रणाली और सामाजिक संबंधों को नष्ट कर
देता है।" "इसके अतिरिक्त, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अनुसंधान के लिए
भी एक बड़ा ख़तरा है क्योंकि यह एड्स के प्रसार के एक बुनियादी कारण रूप में पाया गया
है।" प्रतिनिधियों ने सरकार एवं राजनैतिक पार्टियों को भी चेतावनी दी कि वे सरकार
द्वारा कानून में संशोधन की कोशिश को स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार एवं राजनैतिक पार्टियों
से उन्होंने मांग की कि वे अदालत के फैसले को स्वीकार करें।