वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार 26 दिसम्बर 2013 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्त
जयन्ती महोत्सव पर 24 दिसम्बर को, रात्रि जागरण का समारोही पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। पावन
ख्रीस्तयाग का शुभारम्भ संत पापा ने महागिरजाघर में वेदी के सामने निर्मित राज सिंहासन
सदृश्य चरनी में बालक येसु की प्रतिमा को स्थापित करते हुए किया। ख्रीस्त जयन्ती की खुशी
का इज़हार करते हुए महिमा गान के साथ सारी घंटियाँ बजायीं गयी तथा सभी बत्तियाँ जला दी
गयीं। संत पापा ने कहा, "आज की रात ऐसी है मानो अंधकार की आत्मा ने संसार को घेर
लिया था किन्तु इसी रात में अचम्भित कर देने वाली एक अनोखी घटना घटी। अंधकार में विचरने
वालों ने एक महती ज्योति देखी है।" संत पापा ने उपदेश में "चलने एवं देखने के रहस्य"
पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, "‘चलना या विचरना’ हमें सम्पूर्ण मुक्ति इतिहास
की याद दिलाता है जो विश्वास के पिता अब्राहम से आरम्भ होती है उन्हीं के काल में हमारी
पहचान एक विश्वासी समुदाय के रूप में हुई जो प्रतिज्ञात देश की यात्रा तय कर रही थी।
इस मुक्ति इतिहास में ईश्वर उनके हमारे साथ रहे, फिर भी, लोगों ने जीवन में प्रकाश एवं
अंधकार, आशा एवं निराशा, आज्ञापालन एवं आज्ञाभंग, विद्रोह, यात्रा एवं भटकाव की परिस्थितियों
का सामना किया।" संत पापा ने कहा कि हमारे जीवन में भी प्रकाश एवं अंधकार, आशा और
निराशा के क्षण आते हैं। यदि हम ईश्वर तथा अपने भाई बहनों को प्यार करते हैं तो हम प्रकाश
में आगे बढ़ते हैं किन्तु यदि हमारा हृदय बंद है, घमंड, झूठ एवं स्वार्थ से भरा है तब
हमारे अंदर और बाहर चारों ओर अंधकार ही अंधकार होता है।" आज की रात तीव्र प्रकाश से जगमगा
उठी है तथा विश्वासियों की घोषणा से गुंज रहा है। संत पापा ने कहा कि ईश्वर की कृपा
प्रकाशित हुई तथा इस कृपा ने सारी मानव जाति के लिए मुक्ति को संभव बना दिया है। कृपा
जो संसार में प्रकाशित हुई है वे हैं कुँवारी मरियम से जन्में येसु, जो एक सच्चे ईश्वर
एवं सच्चे मानव हैं। वे हमें अंधकार से निकाल कर ज्योति में ले चलने के लिए आये हैं।
उपदेश के अंत में संत पापा ने विश्वासियों से अपील की कि इस पावन रात्रि में हम सुसमाचार
के आनन्द को बांटें, वह आनन्द जो बतलाता है कि ईश्वर हमें प्यार करते हैं, "ईश्वर ने
संसार को इतना प्यार किया कि उन्होंने अपने इकलौते पुत्र को हमारे भाई तथा अंधकार में
हमारे प्रकाश बनने के लिए अर्पित कर दिया।" हमारे स्वर्गीय पिता अत्यन्त धैर्यवान हैं,
हमें प्यार करते एवं हमारा मार्गदर्शन करने के लिए उन्होंने येसु को हमें दिया है जो
हमें प्रतिज्ञात देश अर्थात स्वर्ग की ओर ले चलते हैं। येसु हमारी शांति हैं।