संत योसेफ ने आत्मा को विषाक्त कर देने वाले क्रोध को हावी होने नहीं दिया
वाटिकन सिटी, सोमवार 23 दिसम्बर 2013 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्रांगण में, रविवार 22 दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना से पूर्व उन्होंने विश्वासियों को संबोधित
कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आगमन के चौथे सप्ताह के लिए
निर्धारित सुसमाचार हमें येसु के जन्म से पूर्व की घटना का वर्णन करता है। सुसमाचार
लेखक संत मत्ती कुंवारी मरियम के मँगेतर संत जोसेफ की ओर हमारा ध्यान खींचते हुए बतलाते
हैं कि जोसेफ एवं मरियम नाज़रेथ में रहते थे किन्तु वे एक साथ थे किन्तु उनकी शादी की
रस्म पूरी नहीं हुई थी। इसी दौरान, दूत के संदेश को स्वीकार करने के पश्चात् मरियम पवित्र
आत्मा से गर्भवती हो गयी। जब जोसेफ को इस सच्चाई का पता चला तो वह चकित रह गया।" संत
पापा ने कहा, "सुसमाचार हमें योसेफ के मन में उठने वाले विचारों की जानकारी नहीं देती
है किन्तु जो वास्तव में आवश्यक है उसकी जानकारी देती है। योसेफ ईश्वर की इच्छा पूरी
करने तथा पूर्ण आत्म त्याग करने के लिए तैयार हो गये। अपनी सफाई देने एवं अधिकार जताने
के बदले उन्होंने एक उपाय सोच लिया, जो उनके एक बड़े त्याग को दर्शाता है। सुसमाचार कहता
है ‘योसेफ चुपके से उसका परित्याग करने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम
को बदनाम नहीं करना चाहता था।’(मत्ती1:19) संत पापा ने कहा कि हम जोसेफ के मरिया के
प्रति प्यार पर ग़ौर करें जो इस छोटे वाक्य में एक सच्ची आंतरिक भावना के रूप में निहित
है। असमंजस की स्थिति रहते हुए भी योसेफ ईश्वर की इच्छा पूरी करना चाहता था एवं अत्यन्त
भारी मन से मरिया को चुपचाप त्याग देने की सोच रहा था। इसे समझने के लिए हम इन शब्दों
पर चिंतन करें कि क्यों योसेफ को येसु के जन्म के पूर्व इस परिस्थिति का सामना करना पड़ा।
ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार ईश्वर द्वारा अब्राहम को अपने पुत्र इसहाक के बलिदान की माँग
पर सामना करना पडा थाः सबसे मूल्यवान वस्तु का परित्याग करने की माँग, सबसे प्रिय व्यक्ति
के परित्याग की माँग। अब्राहम की तरह ईश्वर ने योसेफ के मामले में भी हस्तक्षेप किया
जिसके द्वारा उन्होंने उनके विश्वास को परखा। विश्वास उदार बनाता, एक अन्य प्रकार के
तरीकों की पहल कराता तथा प्यार एवं खुशी का मार्ग प्रशस्त करता है। "उसे स्वप्न में प्रभु
का दूत यह कहते दिखाई दिया, ''यूसुफ! दाऊद की संतान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने
में नहीं डरें, क्योंकि उनके जो गर्भ है, वह पवित्र आत्मा से है।"(मत्ती 1:20) संत
पापा ने कहा कि यह पाठ संत योसेफ के हृदय की विशालता को दर्शाता है। वे एक सुन्दर जीवन
की योजना बना रहे थे किन्तु ईश्वर ने उनके लिए कुछ अलग योजना बनायी थी जो उनके लिए एक
बड़ा मिशन था। संत योसेफ एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हमेशा ईश्वर की आवाज सुनी एवं उनकी
पवित्र इच्छा पूरी की। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो हृदय एवं ईश्वर से आने वाले आवाज को ध्यान
से सुन सकते थे। उन्होंने अपने जीवन की योजना को आगे बढ़ाने की ज़िद्द नहीं की, आत्मा
को विषाक्त कर देने वाले क्रोध को हावी होने नहीं दिया किन्तु वे उचित निर्णय को स्वीकार
करने के लिए तैयार थे। इस प्रकार वे एक भले आदमी थे। हम कितनी बार घृणा करते तथा नापसंदगी
दिखाते एवं क्रोध को हमारी आत्मा में विष डालने की अनुमति देते हैं। जो हमें दुःख से
भर देता है। क्रोध को हावी नहीं होने देने के लिए योसेफ हमारे उदाहरण हैं इसलिए वे अधिक
उदार एवं महान हैं। हम एक -दूसरे को ईश्वर की योजना अनुसार स्वीकार करें। योसेफ ने पूरी
तरह उदारता का परिचय दिया वे अपने आप का परित्याग किया, यही है ईश्वर की आंतरिक इच्छा
के प्रति समर्पण। जो हमें चुनौती देता एवं रास्ता दिखाता है। हम ख्रीस्त जयन्ती मनाते
हुए संत मरिया एवं योसेफ पर चिंतन करें, मरिया कृपा से पूर्ण, एक नारी जिन्हें ईश वचन
पर पूर्णतया भरोसा रखने का साहस प्राप्त था, योसेफ विश्वस्त एवं धर्मी पुरूष जिन्होंने
संदेह तथा मानवीय घमंड की आवाज को सुनने की अपेक्षा ईश्वर पर विश्वास करना स्वीकार किया।
उनके साथ हम बेतलेहेम की यात्रा करें। इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना
का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। देवदूत प्रार्थना समाप्त
करने के पश्चात् संत पापा ने कहा, ग़रीब लाचारी के कारण किसी चीज़ की कामना नहीं करते
और यह मुझे येसु की याद दिलाती है कि येसु ने घर में नहीं किन्तु एक ग़रीब गोशाला में
जन्म लिया था। अपने जीवन को बचाने के लिए उन्हें मिस्र भागना पड़ा। बाद में वे अपने घर
नाज़रेथ लौटे। संत पापा ने कहा, "आज मैं चिंतन करता हूँ कि कई कारणों से बहुत सारे बेघर
परिवार हैं। घर एवं परिवार एक साथ चलता है, बिना घर के पारिवारिक जीवन बहुत कठिन है।
इन दिनों क्रिसमस के अवसर पर, मैं सभी व्यक्तिगत एवं सामाजिक अधिकारियों से आग्रह करता
हूँ कि ऐसे बेघर परिवारों को घर उपलब्ध करायें।" इसके उपरांत संत पापा ने देश
विदेश के सभी पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। अंत में उन्होंने सभी को
शुभ रविवार एवं एक आशा, न्याय एवं भाईचारे की भावना से पूर्ण क्रिसमस की शुभकामनाएँ अर्पित
कीं।