वाटिकन सिटी, शुक्रवार 20 दिसम्बर 2013 (सीएनए): वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के संत
मार्था प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने 19 दिसम्बर को ख्रीस्तयाग प्रवचन में फलदार
ख्रीस्तीय बनने के लिए ईश्वरी कृपा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "ईश्वर
पर विश्वास के लिए विनम्रता की आवश्यकता है।" उस दीनता की जिसमें हम अपनी सारी कमज़ोरियों
को ईश्वर के सम्मुख रख सकें तथा उनसे ऊपर उठने के लिए प्रभु से प्रार्थना कर सकें।" ईश्वर
के सामर्थ्य पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने प्राचीन व्यवस्थान पर चिंतन किया जहाँ ईश्वर
ने एक संतानहीन नारी को पुत्र का वरदान प्रदान किया। संतानहीनता के कारण वह महिला एक
बंजर भूमि सी थी जो उपजाऊ भूमि में परिणत हो गयी। संत पापा ने सवाल किया, "क्या
मरूभूमि हरी-भरी हो सकती है? क्या बांझ पुत्र प्रसव कर सकती है?" उन्होंने जवाब देते
हुए कहा, "जी हाँ। यह प्रभु की प्रतिज्ञा हैः वे इसे सम्भव कर सकते हैं, सूखे में जीवन
का संचार कर सकते हैं। आपके नीरस जीवन में मुक्ति ला सकते हैं उसे फलदायक हरा पेड़ बना
सकते हैं।" बांझ महिला एवं बंजर भूमि उनका प्रतीक है जिन्हें जीवन की कोई आशा नहीं
थी किन्तु मुक्ति ईश्वर के हाथ में है जो हमें फलदायक बनाते एवं जीवन देने के योग्य बनाते
हैं। यह ईश्वर का कार्य है, वे हमें मुक्ति प्रदान करते हैं तथा पवित्रता के मार्ग पर
चलने में हमारी सहायता करते हैं। एकमात्र ईश्वर ही ऐसा कर सकते हैं। संत पापा ने
कहा किन्तु हम अपनी ओर से क्या कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम, हमें अपने सूखेपन
को पहचानना होगा। दूसरा, हमें फलदायक बनाने के लिए प्रभु से प्रार्थना करनी होगी।