वाटिकन सिटी, शुक्रवार 13 दिसंबर, 2013 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्रांसिस ने वृहस्पतिवार
12 दिसंबर को वाटिकन प्रेरितिक प्रासाद के क्लेमिन्तीन सभागार में वाटिकन सिटी के उन
राजदूतों से मुलाक़ात की जो रोम में निवास नहीं करते हैं।
मुलाक़ात करने वालों
में अल्जीरिया, आइसलैंड, डेनमार्क, लेसोथो, फिलीस्तीन, सिएरा लियोने, केप वेर्दे, बुरुन्डी,
मॉल्टा, स्वीडेन, पाकिस्तान, ज़ाम्बिया, नोर्वे, कुवैत, बुरकिना फासो, उगान्डा और जॉर्डन
के प्रतिनिधि शामिल थे।
संत पापा फ्राँसिस ने राजदूतों का मानव तस्करी की ओर
ध्यान खींचते हुए कहा कि "यह दासता का सबसे बुरा रूप है जिसका अन्त किया जाना निहायत
ज़रूरी है।"
उन्होंने कहा, " मानव तस्करी एक ऐसी बुराई है जो कई देशों को शामिल
करता है यहाँ तक विकसित कहे जाने वाले देश भी इसमें शामिल है। ऐसे देश कमजोर देशों और
शक्तिहीनों को सबसे अधिक क्षति पहुँचाते हैं जिसमें, महिलायें, लड़कियाँ बच्चे, अपंग,
निर्धन तथा परिवार या समाज से बिखरे लोग शामिल हैं।"
संत पापा ने कहा, "हम ख्रीस्तीयों
को चाहिये कि हम गरीबों और ज़रूरतमंदों में ख्रीस्त को देखें।"
उन्होंने कहा,
"प्रत्येक नेक व्यक्ति चाहे वह किसी धर्म को मानता या नहीं इस बात कदापि स्वीकार नहीं
कर सकता है कि महिला या बच्चे को वस्तु समझा जाये; उन्हें बेचना, उनके साथ बलात्कार करना,
उनके साथ धोखाघड़ी करना, उन्हें कई विभिन्न मकसदों के लिये बेचना और फिर उनकी हत्या कर
देना या हम कहें उनके शरीर और दिमाग को बर्बाद कर देना और फेंक देना घोर अपराध है।"
संत
पापा ने कहा, "मानव तस्करी मानवता के विरुद्ध अपराध है।" हमें चाहिये कि हम एकजुट हों
और मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त करें इस अपराध को रोकें। इससे न केवल मानव प्राणी
की क्षति होती है पर समाज के मूलभूत मूल्य इससे ध्वस्त होते तथा अन्तरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था,
शांति और सुरक्षा के साथ पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिये भी खतरनाक है।"